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मुंबई।। नरेंद्र मोदी की जीवनशैली और कार्यशैली को लेकर बनी फिल्म ‘मोदी का गांव’ को सेंसर बोर्ड से हरी झंडी मिल गयी है।

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इसमें नौ महीने का वक्त लग गया। उम्मीद की जा रही है कि इस फिल्म को दिसंबर के पहले या दूसरे हफ्ते में रिलीज कर दिया जायेगा।फिल्म का गुजरात विधानसभा चुनावों के मद्देनजर रिलीज होना महत्वपूर्ण है। माना ये जा रहा है कि ये फिल्म यदि चुनाव से पहले रिलीज हो जाती है तो इसका प्रभाव गुजरात के मतदाताओं पर पड़ सकता है।

सेंसर बोर्ड से ह्री झंडी मिलने के बाद फिल्म निर्माता सुरेश झा काफी राहत महसूस कर रहे हैं।एक दैनिक समाचार पत्र के साथ हुई बातचीत में उन्होंने कहा कि मैं अब जल्द से जल्द इस फिल्म को रिलीज करना चाहता हूँ। उन्होंने संकेत दिये कि दिसंबर के पहले या दूसरे हफ्ते में फिल्म रिलीज की जायेगी। सुरेश झा इस फिल्म को गुजरात के सौ से ज्यादा सिनेमाघरों में रिलीज करने की तैयारी में हैं। हालांकि इसे देश के अन्य सिनेमाघरों में भी रिलीज किया जायेगा।

फिल्म को बोर्ड से ह्री झंडी मिलने में हुई देरी पर सुरेश झा से ज्यादा पहलाज निहलानी खफा हैं। वो कहते हैं, “उन्होंने हमें बहुत परेशान किया। मैं हैरान था कि भाजपा शासनकाल में उसी पार्टी द्वारा नियुक्त सेंसर-बोर्ड के चेयरमैन कैसे मोदी पर बनी फिल्म को लेकर इतना नकारात्मक रवैया अपना सकते हैं। उनके जाने के बाद माहौल बदला, तब फिर से मंजूरी लेने की कोशिश की और सफल रहे।” फिल्म में नरेंद्र मोदी वाले किरदार का नाम ‘नागेंद्र जी’ रखा गया है। इस किरदार को विकास महांते ने निभाया है।

फिल्म निर्माता के अनुसार फिल्म की कहानी एक गांव की है जहाँ एक मोदी काका हैं। उनकी कार्यशैली देश के प्रधानमंत्री से प्रभावित है। निदेशक का कहना है कि यह मोदी की बायोपिक नहीं है। हमारे किरदार उनसे प्रभावित हैं, लेकिन सीधे तौर पर फिल्म से उनका कोई संबंध नहीं है।

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