जानें मुख्तार अंसारी का अपराध की दुनिया से विधायक तक का सफर, ऐसे मिला था चुनाव लड़ने के लिए टिकट

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मऊ॥ ये कहानी एक ऐसे डॉन की है, जिसके सामने पुलिस ही नहीं कानून भी सर झुकाता रहा है। तकरीबन तीन दशक तक अपने आतंक का सिक्का जमाये बैठे इस डॉन पर वैसे तो तकरीबन 4 दर्जन आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं, पर आज तक सजा एक में भी नहीं हुई। 2017 के बाद जब योगी सरकार ने अपराधियों के खिलाफ मुहिम शुरू की तो योगी आदित्यनाथ के हंटर के सामने इस माफिया की भी धार कुंद होने लगी।

Mukhtar Ansari

जी हां, हम बात कर रहे हैं मऊ सदर विधान सभा सीट से पांचवी बार विधायक बने मुख्तार अंसारी की। गाजीपुर जिला के यूसुफपुर मोहम्मदाबाद तहसील का रहने वाला है मुख्तार। मात्र 21 साल की उम्र में विधायक मुख्तार अंसारी BJP नेता कृष्णानंद राय हत्याकांड का मुख्य आरोपी बना। वह वर्ष 2005 से जेल में बंद है।मुख्तार का जन्म 30 जून 1963 को गाजीपुर जिले में हुआ था। अफसा अंसारी से शादी हुई जिससे दो बच्चे अब्बास अंसारी और उमर अंसारी हैं।

ऐसे शुरू हुआ सियासी सफऱ

मुख्तार 1996 में बसपा के टिकट पर पहली बार मऊ सदर विधानसभा से विधायक बना और यहीं से उसके सियासी सफर की शुरुआत हुई। इसके बाद से उसने पूर्वांचल ही नहीं अन्य प्रदेशों में भी आपराधिक दबदबा कायम किया। 1996 के बाद 2002 और 2007 में निर्दल, इसके बाद 2012 में स्वयं की गठित पार्टी कौमी एकता दल से लगातार विधानसभा पहुंचता रहा। वर्ष 2017 में बसपा से एक बार फिर चुनाव जीता।

अपराध की दुनिया में मुख्तार का नाम 1988 में पहली बार आया, जब मंडी परिषद की ठेकेदारी में स्थानीय ठेकेदार सच्चिदानंद राय की हत्या हुई। इसी दौरान बनारस में त्रिभुवन सिंह के कांस्टेबल भाई राजेंद्र सिंह की हत्या में भी वह अभियुक्त बना। यहीं से माफिया बृजेश सिंह और मुख्तार के बीच गैंगवार की कहानी शुरू हुई।1990 में गाजीपुर जिले में बृजेश सिंह और मुख्तार गैंग के बीच ठेकों पर कब्जा व दबदबा कायम करने के लिए दुश्मनी की शुरुआत हुई। 1991 में चंदौली जिला में मुख्तार पुलिस की पकड़ में आया लेकिन दो पुलिस वालों को गोली मारकर वह फरार हो गया।

बसपा ने दिया था टिकट

फरारी के दौरान मुख्तार कोयले का काला कारोबार, शराब के ठेके और अन्य विभागों में ठेकेदारी समेत अन्य अवैध कारोबार में संलिप्त हो गया। इसके बाद 1996 में तत्कालीन एएसपी उदय शंकर पर जानलेवा हमले में मुख्तार का नाम सामने आया। इसके बाद बसपा के टिकट पर उसी वर्ष विधायक बना। 1997 में कोयला व्यवसाई रुंगटा के अपहरण में नाम आने से मुख्तार सुर्खियों में आया। वर्ष 2002 में बृजेश सिंह ने मुख्तार के काफिले पर हमला किया, जिसमें मुख्तार के तीन लोगों की मौत हुई। इस वारदात में बृजेश सिंह भी गंभीर रूप से घायल हो गया था। 2005 के अक्टूबर माह में मऊ में दंगा भड़का जिसमें मुख्तार पर दंगा भड़काने का आरोप लगा। दंगे के बाद उसने गाजीपुर पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया किंतु वह कोर्ट से बरी हो गया।

वर्ष 2005 में ही मुख्तार BJP विधायक कृष्णानंद राय की हत्या में मुख्य आरोपित बना। आरोप है कि मुख्तार ने अपने लोगों के माध्यम से विधायक की हत्या करवाई थी। इसके बाद 2005 से अब तक मुख्तार जेल में ही हैं। पिछले कुछ माह से योगी सरकार ने माफियाओं के खिलाफ प्रदेश में अभियान चलाया है, जिसके तहत मुख्तार और उसके सहयोगियों द्वारा अर्जित की गई संपत्ति जब्त व ध्वस्त करने की कार्यवाही लगातार चल रही है। अब मुख्तार को पंजाब की रोपड़ जेल से उत्तर प्रदेश के बांदा जेल लाने की तैयारी में योगी की पुलिस पंजाब गई है।

 

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