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National News In Hindi :  सुप्रीम कोर्ट में हिजाब विवाद पर मंगलवार को आठवें दिन सुनवाई हुई। सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता ने कहा कि हिजाब इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं है। कुछ ऐसे इस्लामिक देश हैं, जहां हिजाब का विरोध हो रहा है और महिलाएं इसके खिलाफ प्रदर्शन कर रही हैं। कोर्ट ने पूछा- किस देश में? इस पर SG बोले- ईरान में। इससे साबित होता है कि हिजाब पहनना इस्लाम में जरूरी नहीं है। इसके बाद कोर्ट ने सुनवाई बुधवार तक के लिए स्थगित कर दी।

सुप्रीम कोर्ट में SG ने ईरान की जिस घटना का जिक्र किया 

ईरान में सिर न ढंकने के आरोप में पुलिस ने 22 साल की महसा अमीनी को कस्टडी में ले लिया था। महसा कुर्द मूल की थीं। हिरासत में ही वे कोमा में चली गईं और 16 सितंबर को उनकी मौत हो गई। इसके बाद महिलाओं का गुस्सा भड़क गया। महिलाओं की मांग है कि हिजाब को अनिवार्य की जगह वैकल्पिक किया जाए। उनका कहना है कि हिजाब की वजह से वे क्यों मारी जाएं। मॉरल पुलिसिंग का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों पर पुलिस की फायरिंग से 5 लोगों की मौत हो गई। 80 से ज्यादा घायल हैं . (National News In Hindi)

वेदशाला में धोती पहन सकते हैं, लेकिन शिक्षण संस्था में यह ठीक नहीं: SG

मेहता ने कहा कि किसी वेदशाला या पाठशाला में कोई धोती पहन सकता है, लेकिन सेक्युलर शिक्षण संस्थाओं में धार्मिक पहचान दिखाने वाली ड्रेस पहनने की इजाजत नहीं दी जा सकती। मेहता ने आगे कहा कि मान लीजिए कल को बार काउंसिल ऑफ इंडिया तिलक पर पाबंदी लगा दे, तो यह तब तक जारी रहेगी, जब तक कोई साबित न कर दे कि यह अनिवार्य धार्मिक रस्म है। तिलक के मामले में कहा जा सकता है कि यह धार्मिक तौर पर अनिवार्य नहीं है। (National News In Hindi)

मेहता बोले- 2021 तक किसी लड़की को हिजाब बैन से परेशानी नहीं हुई

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जस्टिस हेमंत गुप्ता और सुधांशु धूलिया की बेंच को बताया कि 29 मार्च 2013 को उडुपी के सरकारी प्री-यूनिवर्सिटी गर्ल्स कॉलेज ने प्रस्ताव पास करके यूनिफॉर्म तय की। तब हिजाब को यूनिफॉर्म का हिस्सा नहीं बनाया गया और उस समय किसी भी लड़की को इस यूनिफॉर्म से परेशानी नहीं हुई। याचिकाकर्ताओं ने भी जब 2021 में इस कॉलेज में एडमिशन लिया तो उन्होंने भी यूनिफॉर्म के नियमों का पालन किया। (National News In Hindi)

सुनवाई के दौरान हिजाब की तुलना पल्लू से

सुनवाई के दौरान जनता दल (सेक्युलर) के कर्नाटक प्रमुख सीएम इब्राहिम ने हिजाब की तुलना पल्लू से की। उन्होंने कहा- राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू भी पल्लू से अपना सिर ढकती हैं, इंदिरा गांधी ने अपने सिर को पल्लू से ढका था। जो लोग अपने चेहरे को घूंघट से ढकते हैं, क्या वे सभी PFI की ओर से समर्थित हैं? पल्लू से सिर ढकना भारत का इतिहास है। यह भारत के संस्कार हैं। (National News In Hindi)

2022 में PFI ने सोशल मीडिया पर चलाया नफरत भरा कैंपेन

इससे पहले सॉलिसिटर जनरल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि जिन छात्राओं ने हिजाब बैन के खिलाफ याचिका दायर की है, वे कट्‌टरपंथी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के प्रभाव में ऐसा कर रही हैं। उन्होंने कहा, ‘2022 में PFI ने सोशल मीडिया पर एक कैंपेन चलाया, जिसका मकसद था लोगों की धार्मिक भावनाओं को आहत करके उपद्रव फैलाना। ऐसा नहीं है कि कुछ बच्चियों ने अचानक से तय किया कि वे हिजाब जरूर पहनेंगी। ये सब सुनियोजित षड्यंत्र के तहत हुआ है। ये बच्चे वही कर रहे थे, जो PFI उनसे करवा रही थी।’ (National News In Hindi)

उन्होंने कहा कि हिजाब विवाद सामने आने से पहले कर्नाटक की छात्राएं शैक्षणिक संस्थाओं में ड्रेस कोड का पालन कर रही थीं। अगर राज्य सरकार ने 5 फरवरी को नोटिफिकेशन जारी करके छात्राओं को ऐसे कपड़े पहनने से न रोका होता जो शांति, सौहार्द्र और कानून व्यवस्था को नुकसान पहुंचा सकते हैं, तो यह कर्तव्य के प्रति लापरवाही होती। (National News In Hindi)

कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गईं याचिकाएं

15 मार्च को कर्नाटक हाईकोर्ट ने उडुपी के सरकारी प्री-यूनिवर्सिटी गर्ल्स कॉलेज की कुछ मुस्लिम छात्राओं की तरफ से क्लास में हिजाब पहनने की मांग करने वाली याचिका खारिज कर दी थी। कोर्ट ने अपने पुराने आदेश को बरकरार रखते हुए कहा कि हिजाब पहनना इस्लाम की जरूरी प्रैक्टिस का हिस्सा नहीं है। इसे संविधान के आर्टिकल 25 के तहत संरक्षण देने की जरूरत नहीं है। कोर्ट के इसी फैसले को चुनौती देते हुए कुछ लड़कियों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिस पर सुनवाई हो रही है। (National News In Hindi)

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