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अगर किसी फिल्म, सीरियल या वीडियो के बीच में कोई ऐड आ जाए तो लोग बहुत बोर हो जाते हैं। ऐड एक ऐसी चीज़ है जिसे लोग देखना पसंद नहीं करते। किंतु, कुछ ऐड ऐसे भी होते हैं जिन्हें देखकर आप कभी नहीं थकते. किसी भी ब्रांड को प्रमोट करने में ऐड भी अहम भूमिका निभाते हैं। कहते हैं अगर ऐड और काम दोनों अच्छे हों तो कंपनी को कोई नहीं रोक सकता।

आज हम एक ऐसे ही ब्रांड के बारे में बात करने जा रहे हैं, जिसने ऐड और काम दोनों को इस तरह जोड़ा है कि आज देश के ज्यादातर घरों में इसका इस्तेमाल किया जाता है। आज इस कंपनी का रेवेन्यू तीन हजार करोड़ रुपये है.

हम आपको फेविकोल के बारे में बता रहे हैं. 'फेविकोल का मजबूत जोड़ है, टूटेगा नहीं...' कंपनी ने अपनी लोकप्रिय टैगलाइन पर काम किया। फेविकोल एक ऐसा ब्रांड है जिसका इस्तेमाल लगभग हर घर में किया जाता है। भारत में इस गोंद निर्माता कंपनी का इतिहास इन ऐडों से भी अधिक रोमांचक और प्रेरणादायक है।

कभी चपरासी की नौकरी करते थे आज हैं करोड़ों के मालिक

बलवंत पारेख फेविकोल कंपनी के संस्थापक हैं। शायद ही कोई ऐसा हो जिसने फेविकोल का नाम न सुना हो. बलवंत पारेख कभी चपरासी की नौकरी करते थे, किंतु, उन्होंने अपनी मेहनत से पूरा खेल ही बदल दिया।

इस बीच वह अपनी पत्नी के साथ कार्यालय के गोदाम में रह रहे थे. यहां उन्होंने लकड़ी के काम को बहुत ध्यान से देखा। बलवंत राय अपना खुद का व्यवसाय शुरू करना चाहते थे, इसलिए उन्होंने मोहन नामक एक निवेशक की मदद से पश्चिमी देशों से भारत में साइकिल, सुपारी, पेपर डाई आदि आयात करने का व्यवसाय शुरू किया। बलवंत राय ने भारत में होचस्ट का प्रतिनिधित्व करने वाली जर्मन कंपनी फेडको के साथ 50 प्रतिशत की साझेदारी की।

54 देशों में बेचा जाता है फेविकोल

अपनी मेहनत से उन्होंने एक ऐसा बिजनेस शुरू किया, जिसने उन्हें देश ही नहीं बल्कि दुनिया भर में मशहूर कर दिया. फिलहाल फेविकोल दुनिया के 54 देशों में बेचा जाता है और अधिकतर लोग इसका इस्तेमाल करते हैं।

पारेख एक जर्मन कंपनी के एमडी के बुलावे पर एक महीने के लिए जर्मनी गए थे. कंपनी के एमडी की मृत्यु के बाद उन्होंने अपने भाई के साथ मुंबई में पारेख डाइकेम इंडस्ट्रीज नाम की कंपनी शुरू की। इसके बाद उन्होंने फेडको के और शेयर खरीदकर फेविकोल नामक गोंद बनाया।

 

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