चुनाव से पहले मिल जाएगा नेपाल को नया PM, विपक्ष ने अफसरों से की ये अपील!

img

काठमांडू। नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के खिलाफ विपक्षी दलों के गठबंधन ने एकजुटता दिखाते हुए सरकारी विभागों और संस्थानों से सरकार के आदेश नहीं मानने की अपील की है। विपक्षी दलों ने सरकार को असंवैधानिक और गैर लोकतांत्रिक बताया है। साथ  ही विपक्षी दलों को उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट जल्द ही संसद (प्रतिनिधि सभा) को बहाल करने का फैसला सुनाएगी और ओली सरकार सत्ता से हट जाएगी।

Oli

याचिका दायर की 

शीर्ष न्यायालय में विपक्षी गठबंधन ने प्रतिनिधि सभा की बहाली और बहुमत प्राप्त शेर बहादुर देउबा को प्रधानमंत्री नियुक्त किए जाने की याचिका दायर की है। फिलहाल  राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी द्वारा 22 मई को संसद को भंग करने के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 30 याचिकाएं दायर की गई हैं।  इस मामले में मुख्य न्यायाधीश ने पांच सदस्यीय संविधान पीठ गठित कर इन याचिकाओं की सुनवाई का आदेश दिया है। रविवार को हुई सुनवाई में पीठ के सवालों पर दोनों पक्षों के वकीलों ने अपने पक्ष रखे।

देउबा के आवास पर बैठक

विपक्षी दल नेपाली कांग्रेस, नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी केंद्र), माधव कुमार नेपाल के नेतृत्व वाले नेकपा (यूएमएल) के गुट, उपेंद्र यादव के नेतृत्व वाले जनता समाजवादी पार्टी के गुट और राष्ट्रीय जनमोर्चा पार्टी के नेताओं की रविवार को देउबा के आवास पर बैठक हुई । बैठक के बाद जारी संयुक्त बयान में कहा गया कि विपक्षी गठबंधन के पास सरकार बनाने के लिए 149 सांसदों का समर्थन था, जबकि सरकार बनाने के लिए 136 सांसदों का ही समर्थन चाहिए। ऐसे में ओली सरकार की सिफारिश पर राष्ट्रपति का संसद भंग करना सही फैसला नहीं है।

बता दें कि राष्ट्रपति बिद्यादेवी भंडारी ने अल्पमत सरकार का नेतृत्व कर रहे पीएम केपी शर्मा ओली की सलाह पर पांच माह में दूसरी बार 275 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा को भंग करते हुए 12 व 19 नवंबर को मध्यावधि चुनाव की घोषणा की थी।

बयान में कहा गया है कि ओली सरकार असंवैधानिक है, इसलिए सरकारी विभाग और संस्थाएं उसके असंवैधानिक और गैर लोकतांत्रिक कृत्यों का समर्थन न करें। विभाग सरकार के कहे के अनुसार कार्य न करें।

Related News