nikay chunav: उत्तराखंड में निकाय इलेक्शनों को लेकर सियासी पार्टियों ने आरक्षण के अनुसार मजबूत दावेदारों की खोज शुरू कर दी है। शासन स्तर पर चुनावी तैयारियों को तेजी से अमलीजामा पहनाया जा रहा है, जिससे ये संभावना जताई जा रही है कि निकाय चुनाव अगले साल जनवरी के मध्य में हो सकते हैं।
आरक्षण की अनंतिम अधिसूचना जारी होने के साथ ही राजनीतिक दल अपने-अपने हिसाब से आपत्तियां और दावे पेश करने की तैयारी कर रहे हैं। वर्तमान राजनीतिक समीकरणों के मुताबिक, हर सीट पर प्रभावशाली प्रत्याशियों की तलाश भी शुरू हो गई है।
सत्तारूढ़ बीजेपी ने अपनी रणनीति को काफी हद तक तय कर लिया है। पार्टी 11 नगर निगमों, नगर पालिका परिषदों और नगर पंचायतों में जीत हासिल करने के लक्ष्य के साथ चुनावी तैयारियों में जुटी है। पार्टी के सूत्रों के मुताबिक, कई सीटों पर संभावित प्रत्याशियों का चयन भी कर लिया गया है। हाल ही में सीएम धामी ने भाजपा के उत्तराखंड प्रभारी दुष्यंत कुमार गौतम और अन्य नेताओं के साथ चुनावी रणनीति पर चर्चा की।
वहीं, कांग्रेस के भीतर चुनावी तैयारियों को लेकर चर्चा तो हो रही है, मगर ग्राउंड पर गतिविधियां अभी तक सीमित हैं। प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने जिलों में प्रभारियों को जिम्मेदारी सौंपी थी, मगर उनकी रिपोर्ट अभी तक प्राप्त नहीं हुई है। इसके बाद स्क्रूटनी कमेटी का गठन किया जाएगा, जो प्रत्याशियों के चयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
अन्य दलों जैसे बसपा, यूकेडी और आम आदमी पार्टी भी चुनावी तैयारियों में जुटी हैं। यूकेडी ने पूरे प्रदेश में मजबूती से चुनाव लड़ने का ऐलान किया है, जबकि बसपा और आप मैदानी इलाकों पर ध्यान केंद्रित कर सकती हैं।
निकाय चुनावों के अध्यक्षों और वार्ड आरक्षण की अंतिम अधिसूचना के बाद 26 दिसंबर तक चुनाव कार्यक्रम की घोषणा होने की संभावना है। चुनाव कार्यक्रम तीन से चार हफ्ते का हो सकता है और उत्तराखंड में 28 जनवरी से 14 फरवरी के बीच राष्ट्रीय खेलों का आयोजन भी होना है, जिससे सरकार चुनाव कराने की जल्दी में है।
कांग्रेस कुछ सीटों पर आपत्तियां दर्ज कराने की योजना बना रही है और इसके लिए पार्टी के नेता आपसी चर्चा कर रहे हैं। जिला और महानगर अध्यक्षों से फीडबैक भी लिया जा रहा है, जिससे चुनावी रणनीति को और मजबूत किया जा सके।
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