बिजली- कोई चाहे भरना खजाना, कोई चाहे दिल्ली जैसा नजराना

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देहरादून॥ लोगों के घरों को रोशन करने वाले यूपीसीएल यानी ऊर्जा निगम की कोरोना संकट ने आर्थिक रूप से की कमर तोड़ दी है। निगम अब किसी भी सूरत में अपने कोष को भरने के लिए राजस्व वसूली पर जुट गया है। दूसरी तरफ उपभोक्ता एक बार फिर दिल्ली की तर्ज पर 100 यूनिट तक की फ्री बिजली की मांग कर रहे हैं।

ऊर्जा निगम की बात करें, तो राजस्व वसूली का उसका रिकार्ड पहले ही काफी खराब रहा है। बकायेदारों से वह बिजली के बिल वसूल नहीं कर पाया है। कोरोना काल में उसके बिल काउंटर बंद पड़े रहे। उपभोक्ताओं से डिजिटल पेमेंट के अनुरोध के भी कोई अच्छे नतीजे नहीं निकले हैं। ऊर्जा निगम के एक अफसर के मुताबिक, खर्चों का बोझ निगम पर लगातार बढ़ता जा रहा है, जबकि आमदनी बहुत कम होती जा रही है।

करोड़ों रूपये की चपत लगनी तय

यह खतरनाक संकेत हैं। दूसरी तरफ कोरोना काल में औद्योगिक इकाइयों को सहूलियत देते हुए सरकार ने तीन महीने के बिल में सरचार्ज माफ करने का ऐलान किया है। इस फैसले से ही ऊर्जा निगम को करोड़ों रूपये की चपत लगनी तय है। ऊर्जा निगम के मुख्य अभियंता एके सिंह के अनुसार, राजस्व वसूली बढ़ाने के लिए निर्देश जारी किए गए हैं। बिना इसे बढ़ाए काम चलना मुश्किल है।

दूसरी तरफ, 100 यूनिट तक उपभोक्ताओं को बिजली फ्री की मांग के समर्थन में आवाजें उठनी शुरू हो गई हैं। हालांकि उत्तराखंड में यह मांग उस वक्त भी उठी थी, जब दिल्ली में बिजली फ्री करके केजरीवाल सरकार दोबारा सत्तासीन हो गई थी। कोरोना काल में बदली हुई स्थिति के बीच अब उपभोक्ता नए सिरे से इस मांग को उठा रहे हैं। नागरिक संगठन से जुड़े प्रदीप कुकरेती और रामलाल खंडूरी का कहना है कि उत्तराखंड राज्य में इतने बड़े स्तर पर बिजली का उत्पादन हो रहा है, इसलिए यहां तो उपभोक्ताओं को 100 यूनिट तक फ्री बिजली मिलनी ही चाहिए। जब दिल्ली जैसा राज्य इस फैसले को लागू कर सकता है, तो फिर उत्तराखंड क्यों नहीं।

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