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Up Kiran, Digital Desk: भारत ने मंगलवार को वह ऐतिहासिक फैसला लिया जो आने वाले दशक में उसकी रक्षा शक्ति को नई उड़ान देने वाला है। भारत के 5वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान प्रोजेक्ट को मंजूरी मिल गई है एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एएमसीए)। यह सिर्फ एक तकनीकी परियोजना नहीं बल्कि आत्मनिर्भर भारत के सपनों को पंख देने वाला मिशन है। इस प्रोजेक्ट के लिए 15000 करोड़ रुपये की भारी-भरकम राशि तय की गई है। यह निवेश न सिर्फ एक स्टील्थ फाइटर जेट बनाने की प्रक्रिया की शुरुआत है बल्कि यह भविष्य के भारत की सुरक्षा संरचना की नींव भी रखता है।

हालांकि हर महान उड़ान को भरने से पहले एक लंबा रनवे तय करना होता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह फाइटर जेट 2035 तक भारतीय वायुसेना के बेड़े में शामिल हो सकेगा—यानी यह एक ऐसा सफर होगा जो कम से कम दस साल तक चलेगा। इस बीच दुनियाभर में सैन्य तकनीक की दौड़ और तेज हो जाएगी। चीन और अमेरिका तो अब छठी पीढ़ी के फाइटर जेट्स की रूपरेखा तैयार कर चुके हैं और भारत अब भी 4 से 4.5 पीढ़ी के विमानों पर निर्भर है।

मौजूदा तस्वीर: आसमान अधूरा उम्मीदें बुलंद

इस वक्त भारतीय वायुसेना की स्थिति कुछ वैसी ही है जैसे किसी युद्ध के मैदान में एक बहादुर योद्धा के पास तलवारें कम पड़ जाएं। ज़रूरत है 42 स्क्वाड्रनों की पर हकीकत में यह संख्या घटकर 32 रह गई है। एक स्क्वाड्रन में 18 फाइटर जेट्स होते हैं—यानि आज भारत को कम से कम 180 और फाइटर जेट्स की सख्त ज़रूरत है। लेकिन फाइटर जेट्स कोई रेडीमेड गैजेट नहीं होते जिन्हें बाज़ार से खरीदा जाए और घर ले आया जाए।

एयरफोर्स चीफ खुद कह चुके हैं—किसी कंपनी के साथ डील होने के बाद भी हर महीने अधिकतम एक ही फाइटर जेट भारत को मिल पाता है। इस पूरी प्रक्रिया में धैर्य रणनीति और दीर्घकालिक सोच की ज़रूरत है। यह एक ऐसा ईकोसिस्टम है जिसमें हर पेंच हर नट और हर पायलट ट्रेनिंग एक साजिश से कम नहीं।

चिंता नहीं तैयारी है

अब आप सोच रहे होंगे—क्या भारत वाकई इस चुनौती के लिए तैयार है? जब पाकिस्तान ऑपरेशन सिंदूर में करारी हार के बाद घायल सांप की तरह फुफकार रहा हो और चीन उसे सस्ते में स्टील्थ फाइटर जेट्स थमा रहा हो तब क्या भारत खुद को सुरक्षित रख पाएगा। उत्तर है हां और बहुत ठोस तरीके से।

भारत अब हथियारों की दुनिया में 'खरीदार' नहीं बल्कि 'निर्माता' की भूमिका में आना चाहता है। ब्रह्मोस मिसाइल की सटीकता आकाश डिफेंस सिस्टम की तैनाती और एस-400 की देसी अनुकृति को दुनिया ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान नंगी आंखों से देखा है।

भारत की तैयारी सिर्फ तकनीक तक सीमित नहीं है—यह एक रणनीतिक सोच है जो भविष्य के युद्धों की भाषा को पढ़ रही है। भारत अब अरबों डॉलर विदेशों में बहाने के बजाय देश के इंजीनियरों और वैज्ञानिकों को हथियार दे रहा है—उनके दिमाग और हुनर को।

चीन और पाकिस्तान को मिलेगा मुंहतोड़ जवाब

चीन और पाकिस्तान की दोहरी चुनौती के बीच भारत ने सिर्फ जवाब नहीं एक समाधान खोजा है और वह समाधान है 'काल'। यह एक विशेष तकनीकी प्रणाली है जो दुश्मन की किसी भी हवाई घुसपैठ को निष्क्रिय कर सकती है। इसका प्रोडक्शन शुरू हो चुका है और इसे भारतीय सुखोई जेट्स में फिट किया जा रहा है।

यह पूरी प्रक्रिया दिखाती है कि भारत युद्ध नहीं चाहता लेकिन अगर चुनौती आई तो वह न सिर्फ जवाब देगा बल्कि यह भी सुनिश्चित करेगा कि अगली बार सवाल उठाने की हिम्मत कोई न कर सके।

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