जिलकार्यवाहक एसपी नरेंद्र बिजारणियां के नेतृत्व में पुलिस टीमें गांव गांव में छापेमारी कर रही हैं। अब तक हिंसा के सिलसिले में करीब 100 युवकों को हिरासत में ले भी चुकी है। 18 से 25 साल की आयु के युवा किसी भी समूह के प्रति निष्ठा का दावा नहीं करते हैं, लेकिन उत्साही यूट्यूबर्स हैं तो यह सब कहना है पुलिस का।
पुलिस के मुताबिक गौरक्षक समूह और दक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं के साथ लड़ाई सोशल मीडिया पर शुरू हुई और सड़कों पर फैल गई। हालांकि इनमें से कई सोशल मीडिया विडियोज उत्तेजक थे यानि कि वायलेंस इन साइट कर चुके थे। जहां गोरक्षकों यानी कि मोनू मानेसर और बिट्टू बजरंगी ने अलग अलग वीडियोस के जरिए कथित तौर पर अपने सोशल मीडिया प्रतिद्वन्दियों को चुनौती दी।
वहीं पुलिस जांच से पता चला कि दूसरे समूह द्वारा अपलोड किए गए विडियोज में आत्मदाह की खुली धमकियां और डंप ट्रकों का उपयोग करके दुर्घटनाओं के बीच सिलेंडरों का भंडार दिखाया गया है। अगर खुफिया एजेंसियों और स्थानीय पुलिस ने इस पर ध्यान दिया होता तो उन्हें पता चल गया होता कि क्या होने वाला है। अब तक आगजनी के पीछे मुख्य कारण सोशल मीडिया की भड़काऊ पोस्ट हैं।
जानकारी के अनुसार, तीन सदस्यीय समिति बना दी गई जो 21 जुलाई से लेकर 31 जुलाई तक और उसके आगे तक हर सोशल मीडिया को स्कैन करेगी। हर फेसबुक, ट्विटर को और वाट्स अप को स्कैन करेगी। अगर एक बार भी किसी ने कोई उत्तेजनात्मक पोस्ट डाली होगी तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
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