इस देश के परजीवी और जन्मजात सुविधाभोगी वर्ग के आशा और आकांक्षा की प्रतीक बन चुकी भाजपा अपने दो पारंपरिक अमोघ हथियारों- मुस्लिम विद्वेष का प्रसार और हिंदू धर्म संस्कृति के गौरवगान- के सहारे देश के राजनीति की दिशा तय करने वाले यूपी विजय के लिए मैदान में कूद चुकि है।
यही वो हथियार हैं जिसके सहारे भारत विजय कर मोदी ने वर्ग संघर्ष का खुला खेलते हुए शक्ति के समस्त स्रोत अपने चहेते परजीवी वर्ग के हाथ में सौपने के लिए देश बेचने में सारी शक्ति लगा कर बहुजनों को उस स्टेज में पहुंचा दिया है, जिस स्टेज में पहुंच कर सारी दुनिया में गुलामों को अपने मुक्ति की निर्णायक लडाई लड़नी पड़ी.
यूपी विजय के प्लान के तहत ही अगस्त 2020 में सरकारी धन से राम मंदिर निर्माण का भूमि पूजन कराकर मोदी को नई सदी में हिंदू धर्म संस्कृति के सबसे बड़े उद्धारक की छवि प्रदान करने के मुहिम की शुरुआत हुई. 13 दिसंबर को नवनिर्मित काशी विश्वनाथ मंदिर का साडंबर लोकार्पण कराकर उस मुहिम को तुंग पर पहुंचाने का बलिष्ठ प्रयास हुआ है.
इसीलिए 13 दिसंबर के बाद तमाम साधु संत, प्रायः समस्त हिंदू लेखक- पत्रकार और राष्ट्रवादी नेता मोदी को आधुनिक शंकराचार्य की छवि प्रदान करने के साथ मुस्लिम विद्वेष के प्रसार और हिंदू धर्म संस्कृति के जयगान में एक दूसरे से होड़ लगाने में जुट गए हैं. इसी का प्रतिबिंबन आज देश के सबसे बड़े अखबार दैनिक जागरण के संपादकीय पेज पर हुआ है, जिसका फोटो पोस्ट किया हूँ.
भाजपा के मुकाबले यूपी के चुनावी जंग में उतरे बहुजनों के नेता उस के अमोघ हथियार को लेकर लगता है जरा भी चिंतित नहीं हैं. इसलिए जिस हथियार के सहारे भाजपा यूपी विजय का विसात बिछा रही है, उसकी काट के लिए सही वैकल्पिक हथियार इस्तेमाल करने के बजाय महंगाई, बेरोजगारी, सांप्रदायिकता इत्यादि जैसे घिसे- पिटे हथियार इस्तेमाल करते नजर आ रहे हैं, जो अतीत की भाँति एक बार फिर इनकी गहरी शिकस्त का सबब बन सकता है.
अगर बहुजनवादियों को यह लड़ाई जीतनी है तो चुनाव को उग्र सामाजिक न्याय पर केंद्रित करना होगा : बहुजनों के लिए नौकरियों से आगे बढ़कर उद्योग- व्यापार इत्यादि ए टू जेड : सर्वव्यापी आरक्षण दिलाने की विसात बिछानी होगी. इसके लिए सबसे आसान रास्ता है डाइवर्सिटी को चुनावी मुद्दा बनाना. एक मात्र डाइवर्सिटी में ही हिंदू धर्म के गुलाम मोदी भक्त बहुजनों को मुस्लिम विद्वेष और हिंदू धर्म संस्कृति के सम्मोहन से मुक्त करने का सामर्थ्य हैं. अगर बहुजनवादी दल यूपी चुनाव में डाइवर्सिटी को वरण करने में कोताही बरतते हैं तो भाजपा को शिकस्त देने के लिए उन्हें किसी चमत्कार पर ही निर्भर रहना होगा! -DUSADH