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नई दिल्ली। इस समय शारदीय नवरात्रि (Navratri) चल रहे हैं। आज नवरात्रि का तीसरा दिन है। आज मां के तीसरे स्वरूप मां चंद्र्घटना की पूजा का विधान है। नवरात्रि के नौ दिनों तक मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। धर्मिक शास्त्रों के अनुसार मां दुर्गा की तीसरी शक्ति का नाम चंद्रघंटा है। मां चंद्रघंटा का स्वरूप परम शान्तिदायक और कल्याणकारी है। मान्यता है कि मां चंद्रघंटा की पूजा और भक्ति करने से आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त होती है। धर्म शास्त्रों में बताया गया है कि नवरात्रि (Navratri) के तीसरे दिन जो भी जातक माता के तीसरे रूप मां चंद्रघंटा की पूजा अर्चना करता है, उसे माता की कृपा प्राप्त होती है। आइए जानते हैं मां चंद्रघंटा से जुड़ी कथा, पूजा विधि और महत्व के बारे में विस्तार से…

मां चंद्रघंटा का स्वरूप

धर्म शास्त्रों के अनुसार, मां चंद्रघंटा ने राक्षसों का संहार करने के लिए अवतार लिया था। इनमें ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों देवों की शक्तियां समाहित हैं। मां चंद्रघंटा अपने हाथों में तलवार, त्रिशूल, धनुष व गदा धारण करती हैं। साथ ही इनके माथे पर घंटे के आकार में अर्द्ध चंद्र विराजमान है। यही वजह है कि ये चंद्रघंटा के नाम से पूजी जाती हैं। भक्तों के लिए माता का ये स्वरूप सौम्य और शांत है।(Navratri)

मां चंद्रघंटा पूजा विधि

नवरात्रि (Navratri) के तीसरे दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि के बाद पूजा स्थान पर गंगाजल छिड़कें। फिर मां चंद्रघंटा का ध्यान करते हुए और उनके समक्ष दीपक जलाएं। अब माता रानी को अक्षत, सिंदूर, पुष्प आदि चीजें अर्पित करें। इसके बाद मां को प्रसाद के रूप में फल और केसर-दूध से बनी मिठाइयों या फिर खीर का भोग लगाएं। अब मां चंद्रघंटा की आरती करें। पूजा करने के बाद किसी भी गलती के लिए क्षमा याचना करें।

मां चंद्रघंटा का भोग और प्रिय रंग

ज्योतिषी कहते हैं कि मां चंद्रघंटा की पूजा के समय सफेद, भूरा या स्वर्ण रंग का वस्त्र पहनना शुभ होता है। इसके साथ भक्त इस दिन दूध से बने मिष्ठान का भोग लगा सकते हैं। ऐसा माना जाता है कि माता को शहद भी बेहद प्रिय है।(Navratri)

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