भारत और चीन की सेना उठाने जा रही ये बड़ा कदम, दोनों देश…

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नई दिल्ली। भारत और चीन के बीच 8वें दौर की सैन्य वार्ता चुशुल-मोल्डो के भारतीय क्षेत्र में 6 नवम्बर को होगी। वैसे तो लद्दाख के अग्रिम क्षेत्रों में बर्फीली ठंड शुरू होने के बावजूद दोनों देशों के सैैैनिक एलएसी पर तैनात हैं लेकिन इस बैैैठक में रिश्तोंं पर जमी बर्फ पिघलने की उम्मीद है।
Army of India and China

रिश्तों पर जमी बर्फ पिघलेगी

भारत के साथ 8वें दौर की सैन्य कमांडर स्तर की वार्ता के लिए चीन ने रविवार के लिए सहमति जताई थी। हालांकि चीन की तरफ से अंतिम तारीखों की अभी पुष्टि नहीं हुई है लेकिन भारतीय सूत्रों ने 6 नवम्बर को लद्दाख गतिरोध पर बैठक होने की पुष्टि की है। लेह कॉर्प्स कमांडर के नए लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन के नेतृत्व में पहली बार यह सैन्य वार्ता होगी। पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच रिश्तों पर जमी बर्फ आठवें दौर की कोर कमांडर-स्तरीय वार्ता में पिघलने की संभावना है।

टॉप सीक्रेट ‘रोडमैप’ दिए

पिछली सैन्य वार्ता में दोनों देशों ने एक दूसरे को टॉप सीक्रेट ‘रोडमैप’ दिए हैं, जिस पर दोनों देशों के शीर्ष नेतृत्व ने मंथन किया है। आठवें दौर की होने वाली सैन्य वार्ता में इसी पर फोकस किये जाने की संभावना है। दोनों देशों के बीच 21 सितम्बर को छठे दौर की वार्ता में भारत ने चीन पर दबाव बनाने के लिए 12 अधिकारियों की टीम भेजी थी। यह पहला मौका था, जब इस वार्ता में सेना के साथ-साथ विदेश मंत्रालय को भी शामिल करके राजनयिक तौर से चीन पर दबाव बनाने की कोशिश की गई।

दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों और विदेश मंत्रियों के बीच मास्को में हुई बैठक के बाद यह पहला मौका था, जब दोनों देशों के कोर कमांडर आमने-सामने बैठे थे। वार्ता की शुरुआत में ही भारत की ओर से स्थिति साफ कर दी गई कि वो एक इंच भी पीछे नहीं हटेंगे और अपनी जमीन नहीं छोड़ेंगे। भारत की तरफ से साफ़ कहा गया कि चीन को सीमा पर उन सभी जगह से पीछे जाना होगा, जहां-जहां वह आगे आया है। इस बैठक में भी चीन ने टकराव खत्म करने के लिए एक प्रस्ताव दिया था, जिसे भारत ने एक सिरे से खारिज कर दिया था।

इस प्रस्ताव में चीन की तरफ से भी पैन्गोंग झील के दक्षिण किनारे की अहम चोटियों पर भारतीय सैनिकों की तैनाती का मसला उठाया गया। इस पर भारत के अधिकारियों ने चीन की बात यह कहकर सिरे से ख़ारिज कर दी कि ये पहाड़ियां भारतीय क्षेत्र में ही हैं, भारत ने एलएसी पार करके किसी पहाड़ी को अपने नियंत्रण में नहीं लिया है। भारत ने साफ कर दिया कि डिसइंगेजमेंट होगा तो पूरी एलएसी पर होगा। ऐसी स्थिति में चीनी सेना को पैन्गोंग झील के उत्तरी किनारे पर फिंगर 4-8 के पीछे जाना पड़ता लेकिन चीनी सेना इसके लिए तैयार नहीं हुई थी।

एक दूसरे से ‘रोडमैप’ मांगा गया

बैठक में दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच मॉस्को वार्ता में तय हुए पांच बिन्दुओं के आधार पर एक दूसरे से ‘रोडमैप’ मांगा गया। 12 अक्टूबर को हुई सातवें दौर की सैन्य वार्ता ‘फिर मिलेंगे’ के वादे के साथ खत्म हुई थी। इसी बैठक में चीन और भारत ने एक दूसरे को टॉप सीक्रेट ‘रोडमैप’ सौंपे थे।
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