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नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव से पहले सत्तारूढ़ बीजेपी के लिए बुरी खबर है। देश में पुरानी पेंशन बहाली के लिए लंबे समय से संघर्षरत कर्मचारी संगठनों ने केंद्र सरकार को ओपीएस लागू करने के लिए छह सप्ताह का अल्टीमेटम दिया है। अगर इस अवधि में पुरानी पेंशन बहाल नहीं होती है, तो देशभर में अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू हो जाएगी। रेलवे और उद्योगों समेत तमाम सरकारी महकमों में कामकाज ठप्प हो जाएगा। लोकसभा चुनाव से पहले ये स्थिति मोदी सरकार के लिए घातक हो सकती है।

गत दिवस नई दिल्ली में हुई नेशनल ज्वाइंट काउंसिल ऑफ एक्शन (एनजेसीए) के पदाधिकारियों की बैठक में ये अहम निर्णय लिया गया जिसकी अध्यक्षता, एनजेसीए के संयोजक शिवगोपाल मिश्रा ने की है। केंद्र सरकार को अनिश्चितकालीन हड़ताल का नोटिस देने और हड़ताल की तिथि घोषित करने के लिए दो दिन के भीतर एक कमेटी गठित होगी।

जानकारी के मुताबिक़ देशव्यापी हड़ताल में रेलवे के 11 लाख कर्मियों में से 96 फीसदी कर्मचारी ओपीएस लागू न करने की स्थिति में अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने के लिए तैयार हैं। इसके अलावा रक्षा विभाग (सिविल) के चार लाख कर्मियों में से 97 फीसदी कर्मी हड़ताल के पक्ष में हैं। केंद्रीय कर्मचारी संगठनों ने गत आठ जनवरी से 11 जनवरी तक रिले हंगर स्ट्राइक की थी। इसके अलावा विभिन्न केंद्रीय कर्मचारी संगठन एवं राज्यों की एसोसिएशन भी ओपीएस के मुद्दे पर एकजुट हैं।  

नेशनल ज्वाइंट काउंसिल ऑफ एक्शन (एनजेसीए) के संयोजक शिवगोपाल मिश्रा ने रिले हंगर स्ट्राइक के अंतिम दिन सरकार को चेतावनी दी थी कि ओपीएस बहाली के लिए अब कोई धरना प्रदर्शन नहीं होगा। सरकार हमें, अनिश्चिकालीन हड़ताल करने के लिए मजबूर कर रही है। देश में अगर 1974 की रेल हड़ताल जैसा माहौल बना, तो उसके लिए केंद्र सरकार जिम्मेदार होगी।

गौरतलब है कि केंद्र एवं विभिन्न राज्य सरकारों के कर्मचारी, पुरानी पेंशन बहाली के लिए गत वर्ष से ही आंदोलन कर रहे हैं। कर्मचारी संगठनों ने विभिन्न तरीकों से अपनी बात, सरकार तक पहुंचाने का प्रयास किया है। एनएमओपीएस के अध्यक्ष विजय कुमार बंधु ने कहा, पुरानी पेंशन कर्मियों का अधिकार है। वे इसे लेकर ही रहेंगे। 

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