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भारत में चेक बाउंस होना एक वित्तीय अपराध माना जाता है। इसलिए चेक का भुगतान करने से पहले अपने बैंक खाते में मौजूद रकम की जांच अवश्य कर लें, अन्यथा आपको जेल की हवा खानी पड़ सकती है। साथ ही अगर आपको दिया गया कोई चेक बाउंस हो जाता है तो उसके विरूद्ध कानूनी कार्रवाई भी की जा सकती है। आइए जानें कि अगर आप किसी का चेक जमा करते हैं और वह बाउंस हो जाता है तो आपके क्या अधिकार हैं।

अगर किसी का चेक बाउंस हो जाता है तो उसके नाम पर कानूनी नोटिस जारी किया जा सकता है। फिर यदि 15 दिन के भीतर नोटिस का जवाब नहीं मिलता है तो उस व्यक्ति के विरूद्ध 'नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट 1881' की धारा 138 के तहत कार्रवाई कैसे की जा सकती है. चेक बाउंस का मामला परक्राम्य लिखत अधिनियम, 1881 की धारा 148 के तहत दर्ज किया जा सकता है।

चेक बाउंस होने पर जुर्माना

चेक बाउंस होना अपराध माना जाता है. ऐसे मामले में चेक बाउंस होने पर परक्राम्य लिखत अधिनियम 1881 की धारा 138 के तहत 2 साल की कैद और जुर्माना दोनों का प्रावधान है। मगर आम तौर पर अदालत 6 महीने या 1 साल की जेल की सजा देती है। इसमें धारा 138 के तहत मुकदमा दर्ज किया जाता है।

कितना है जुर्माना?

चेक बाउंस होने पर ₹150 से लेकर ₹750 या ₹800 तक का जुर्माना लग सकता है। इसमें 2 साल तक की कैद और चेक में लिखी रकम का दोगुना जुर्माना या दोनों से दंडित किया जा सकता है। मगर ऐसा तब होता है जब चेक प्राप्तकर्ता के खाते में पर्याप्त पैसा नहीं है और बैंक चेक को अस्वीकार कर देगा।

अपील कैसे करें?

ये एक जमानती अपराध माना जाता है. अंतिम निर्णय होने तक व्यक्ति जेल नहीं जाता। यदि किसी को इसके लिए दोषी ठहराया गया है, तो वह आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 389(3) के तहत ट्रायल कोर्ट के समक्ष अपना आवेदन कर सकता है।

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