नई दिल्ली ॥ मध्य प्रदेश में डेढ़ हजार से अधिक आवेदकों के पासपोर्ट रोक लिए हैं। इसकी वजह फर्जी दस्तावेज देकर पासपोर्ट मांगना बताया जा रहा है। ऐसे आवेदकों में से साढ़े छह सौ लोगों पर भारी जुर्माना एवं बाकी मामलों में एक महीने के नोटिस थमाए गए।
यह कार्रवाई विदेश मंत्रालय ने पिछले छह माह के दौरान की है। मंत्रालय ने फिलहाल अभियोजन की कार्रवाई किसी पर नहीं की है। पासपोर्ट कार्यालय द्वारा फर्जी दस्तावेजों के मामले में जब पूछताछ की गई तो ज्यादातर मामले कॉलेज के युवाओं और दूसरे देशों में नौकरी के लिए जाने वाले आवेदकों के सामने आए। करीब एक हजार ऐसे मामले हैं, जिन्हें मंत्रालय ने एक महीने का नोटिस थमा दिया है।
उन्हें अल्टीमेटम देकर कहा है कि यदि वाकई पासपोर्ट चाहिए है तो सही दस्तावेज लेकर आएं, अन्यथा इसके बाद उनकी फाइल बंद कर दी जाएगी। बताया जाता है कि ऐसे आवेदकों को 31 जनवरी तक की मियाद दी गई है। मंत्रालय ने इन सभी के पासपोर्ट रोककर उनके खिलाफ अब तक कोई कड़ी कार्रवाई शुरू नहीं की है।
क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी रश्मि बघेल का कहना है कि करीब सवा लाख पासपोर्ट के आवेदनों की छानबीन में डेढ़ हजार से अधिक मामले गलत दस्तावेजों व अन्य कमियों के सामने आए। इनमें आयु के संदर्भ में फर्जी प्रमाण पत्र और निगेटिव पुलिस वेरिफिकेशन रिपोर्ट के प्रकरण ज्यादा हैं, ज्यादा संख्या कॉलेज के छात्रों की है। मंत्रालय ने मानवीयता के आधार पर ऐसे छात्रों को एक और मौका दिया है।
नोटिस भेजकर 31 जनवरी तक सही दस्तावेजों की मांग की गई है, यदि ये लोग जरूरी दस्तावेज उपलब्ध करा देंगे तो पासपोर्ट जारी कर दिए जाएंगे। अभी जिन आवेदकों से पूछताछ की गई है, उनसे सही दस्तावेज लेने के बाद पेनल्टी भी लगाई गई है। दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराने वालों की फाइल हमेशा के लिए बंद कर दी जाएगी।
आपको बता दें कि पूर्व में माफिया डॉन अबू सलेम और उसकी प्रेमिका मोनिका के फर्जी पासपोर्ट के मामले में भोपाल देशभर में सुर्खियां बटोर चुका है। इसलिए मंत्रालय ने दस्तावेजों की छानबीन और मॉनीटरिंग प्रक्रिया ज्यादा सख्त कर दी है। यही कारण है कि स्क्रूटनी के दौरान इतनी बड़ी संख्या में पासपोर्ट होल्ड किए गए।
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