धर्म डेस्क। सनातन परंपरा में पितृपक्ष को लेकर कई अवधारणाएं हैं। सनातनी लोग आज भी इन अवधारणाओं व परंपराओं का पालन करते हैं। पितृपक्ष में कौए का विशेष महत्व माना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कौआ यमलोक का दूत माना जाता है। कौए का घर में आना या उसे रोटी खाते हुए देखना शुभ संकेत माना जाता है। पितृपक्ष में कौए के लिए भोजन रखना बहुत ही शुभ माना जाता है। लोक मान्यता के अनुसार कौए को खिलाए गए भोजन का पुण्य मिलने के साथ ही पितरों की आत्मा को भी मुक्ति मिलती है। पितृपक्ष में कौए से जोड़े कई संकेत हैं।
कौए धरती पर यमलोक के दूत होते हैं और पितृपक्ष में हमें पितरों का के बारे में संकेत देने के साथ ही हमारा संदेश भी पितृलोक में पहुंचाते हैं। पितृपक्ष में यदि कौआ घर आता है, तो माना जाता है कि वह आपके पास पितरों का कोई संदेश लेकर आया है। कौआ दोनों ही लोकों अर्थात धरती और यमलोक में जीवित अवस्था में विचरण कर सकता है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यदि पितृपक्ष में कौए का आकर पूर्व दिशा में बैठना घर में जल्द ही किसी मांगलिक कार्य के आयोजन होने का संकेत है। इसी तरह पितृपक्ष में कौए को पानी पीते हुए देखना जीवन की बाधाएं जल्द ही दूर होने का संकेत है। पितृपक्ष में कौए का पानी पीना घर में शांति और सुख-समृद्धि का भी संकेत है।
इसी तरह पितृपक्ष में गाय की पीठ पर कौआ बैठना देखना जीवन में तरक्की की ओर अग्रसर होने का संकेत है। इसके माध्यम से आपके पूर्वज यह संदेश देते हैं कि आपको धर्म-कर्म और दान-पुण्य के कार्यों में वृद्धि करनी चाहिए। पितृपक्ष में आपको गाय, कौए और कुत्ते आदि जीवों के लिए पहले भोजन निकालने के बाद ही स्वयं भोजन करना चाहिए।
इसी तरह पितृपक्ष में कौए का चोंच में फूल या पत्ती लेकर घर या आंगन में नजर आना जल्द ही मनोकामना पूरी होने का संकेत है। पुराणों के अनुसार कौए का किसी के सिर पर बैठना मृत्यु टलने का संकेत माना जाता है। लोक मान्यताओं के अनुसार पितर अपने परिजनों की रक्षा करने के लिए कौए को ऐसा संदेश देते हैं। इसी तरह पितृपक्ष में कौए को चोंच में रोटी दबाए देखना या रोटी लेकर घर या आंगन में बैठना इस बात का संकेत है कि आपके पितर आपसे प्रसन्न हैं।
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