PM मोदी 3 दिन सदन में गरजते रहे, विपक्ष तय ही नहीं कर पाया किस मुद्दे पर घेरना है

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शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार

राज्यसभा में पिछले दो दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भावुक अंदाज और आंख से आंसू छलकाना अपनों के साथ विपक्षी सांसदों को भी ‘खामोश’ कर गया । पीएम मोदी की स्पीच के दौरान विपक्षी सांसद बोलना तो बहुत चाहते थे लेकिन ‘हौसला’ नहीं जुटा पाए । आज हम चर्चा करेंगे लोकसभा सदन की ।

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10 दिन बीत गएलेकिन अभी तक विपक्ष सरकार को घेरने में सफल नहीं हुआ

बजट सत्र शुरू होने से पहले कांग्रेस समेत विपक्ष के तमाम सांसदों ने केंद्र की भाजपा सरकार समेत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को घेरने के लिए कई मुद्दों पर रणनीति बनाई थी, लेकिन ‘बजट सत्र को शुरू हुए 10 दिन बीत गए हैं लेकिन अभी तक विपक्ष केंद्र सरकार को घेरने में सफल नहीं हुआ है न ही उन मुद्दों पर अपनी बात जोरदार तरीके से रख पाया है, बल्कि तीन दिन से प्रधानमंत्री खुद ही विपक्षी सांसदों से जवाब मांगने में लगे हुए हैं’ ।

‘पीएम मोदी ने सोमवार, मंगलवार को राज्यसभा में लंबे-लंबे भाषण दिए इस दौरान विपक्ष सदन में सिर्फ दर्शक दीर्घा में ही नजर आया’ । उल्टा प्रधानमंत्री ने कांग्रेस समेत कई सांसदों की क्लास लगा दी । राज्यसभा में 2 दिन लगातार स्पीच के बाद प्रधानमंत्री का आज लोकसभा में भाषण होना था इसके लिए कांग्रेस के सांसद सुबह से ही तैयारी करके आए थे ।

हंगामा करने का प्रयास लेकिन असफल

आज मौका था पीएम मोदी के राष्ट्रपति अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर स्पीच का । शाम 4:30 बजे प्रधानमंत्री ने लोकसभा में बोलना शुरू किया तो कांग्रेस सांसद शोर मचाने लगे । पश्चिम बंगाल के कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी मोदी भाषण के दौरान बार-बार अपनी सीट पर उठकर हंगामा करने का प्रयास तो किया लेकिन सफल नहीं हो पाए,‌ जब कांग्रेस सांसद नहीं माने तब पीएम मोदी भी तल्ख हो गए ‘प्रधानमंत्री ने अधीर रंजन चौधरी से कहा कि यह ज्यादा हो रहा है, मैं आपकी इज्जत करने वाला इंसान हूं’। इसके बाद कांग्रेस सांसदों ने सदन से वॉकआउट कर दिया । सदन में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी भी मौजूद थे। बाद में ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस के सांसद भी वॉकआउट कर गए ।

कांग्रेस पार्टी कंफ्यूज है, न अपना भला कर सकती है न देश का

पीएम मोदी ने कहा कि विपक्ष के मुद्दे कितने बदल गए। जब हम विपक्ष में थे, तब देश के विकास के मुद्दे और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर सरकार को घेरते थे। आज आश्चर्य होता है कि विकास के मुद्दे पर कोई चर्चा नहीं करता। हम इंतजार में रहते हैं कि बोलें तो हम जवाब दें। यहां हम आपको बता दें कि आज लोकसभा में प्रधानमंत्री के टारगेट पर सीधे कांग्रेस पार्टी ही रही ।पीएम ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि एक पुरानी कहावत है, ‘खेलब न खेले देइब, खेलिए बिगाड़ब’। आज प्रगति के चक्‍के को रोकने के लिए यही चल रहा है।

विपक्ष इसी मंत्र पर काम कर रहा है।पीएम ने कहा कि कांग्रेस न खुद का भला कर सकती है न देश का भला कर सकती है। ‘पीएम मोदी ने कहा कि कांग्रेस के साथियों ने कानून के कलर पर तो बहुत चर्चा की अच्छा होता उसके कंटेंट पर चर्चा करते’।‌ मोदी की टिप्पणियों पर एक बार फिर हंगामा होने लगा।

अपने संबोधन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि क्या कभी भी इतने सुधारों को समाज ने स्वीकार किया या नहीं किया? हम ये मानते थे कि देश की इतनी पुरानी कांग्रेस ने लगभग पांच दशक तक इस देश में एकछत्र शासन किया, लेकिन आज यह हाल हो गया है कि पार्टी का राज्यसभा का तबका एक तरफ चलता है और लोकसभा का तबका दूसरी तरफ चलता है। पीएम मोदी ने कहा कि ऐसी डिवाइडेड पार्टी और कंफ्यूज पार्टी न खुद का भला कर सकती है, न देश का भला कर सकती है।

आज लोकसभा सदन में पीएम मोदी ने कई बिंदुओं पर खुलकर रखी अपनी बात

कई दिनों से कांग्रेस और विपक्षी सांसद पीएम मोदी से लोकसभा में बोलने की मांग कर रहे थे । बुधवार को प्रधानमंत्री ने उनको निराश नहीं किया और तमाम बिंदुओं पर विपक्ष को जवाब देते हुए अपनी बात रखी। पीएम मोदी ने कोरोना वायरस के खिलाफ देश की लड़ाई का जिक्र किया। उन्होंने डॉक्टर्स, नर्स, सफाईकर्मी और सभी हेल्थवर्कर्स को ‘भगवान का रूप’ बताया । इसके साथ ही उन्होंने कृषि कानून और किसान आंदोलन का भी जिक्र किया। इसके अलावा प्रधानमंत्री ने आत्मनिर्भर भारत’ और ‘लोकल फॉर वोकल’ देश के बढ़ते की कदम पर सराहना की ।

पीएम ने कहा कि कोरोना संकट काल में देश ने अपना रास्ता चुना और आज हम दुनिया के सामने मजबूती से खड़े हैं । उन्होंने कहा कि देश का सामर्थ्य बढ़ाने में सभी का सामूहिक योगदान है। जब सभी देशवासियों का पसीना लगता है, तभी देश आगे बढ़ता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि देश के लिए पब्लिक सेक्टर जरूरी है तो प्राइवेट सेक्टर का योगदान भी जरूरी है।पीएम मोदी ने लोकसभा में भी आंदोलनजीवी शब्द का इस्तेमाल किया, उन्होंने कहा कि आंदोलन का नया तरीका है। आंदोलनकारी ऐसे तरीके नहीं अपनाते हैं, आंदोलनजीवी ही ऐसे तरीके अपनाते हैं। उनका कहना होता है कि ऐसा होगा तो ऐसा हो जाएगा, जो हुआ नहीं उसका डर फैलाया जा रहा है ।

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