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Up Kiran, Digital Desk: हाल ही में बिहार में विधानसभा चुनाव का माहौल गरमाया हुआ था और नतीजों से ठीक पहले रोहतास जिले में थोड़ी हलचल देखने को मिली. यहाँ 'महागठबंधन' के उम्मीदवार, कुछ समर्थक और नेता इकट्ठा होकर 'स्ट्रॉन्ग रूम' के बाहर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे. यह स्ट्रॉन्ग रूम वो जगह होती है जहाँ चुनाव के बाद EVM (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनें) को कड़ी सुरक्षा में रखा जाता है, जब तक वोटों की गिनती न हो जाए.

प्रदर्शनकारी इस बात से नाराज़ थे कि उन्हें स्ट्रॉन्ग रूम के अंदर से EVM से छेड़छाड़ किए जाने का शक था. उनका कहना था कि मशीनों से छेड़छाड़ हो रही है और इसी वजह से वहाँ काफी तनाव फैल गया. प्रदर्शनकारी बार-बार इस बात पर जोर दे रहे थे कि प्रशासन जल्द से जल्द उनकी बात सुने और इन आरोपों की निष्पक्ष जांच की जाए. उनका आरोप था कि स्ट्रांग रूम में हेरफेर की आशंका है. इस विरोध-प्रदर्शन का मकसद साफ था – वे चाहते थे कि चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता बनी रहे और किसी भी तरह की धांधली न हो पाए.

चुनाव एक लोकतांत्रिक देश की जान होते हैं, और जब ईवीएम या चुनाव प्रक्रिया को लेकर सवाल उठते हैं, तो माहौल में तनाव आना स्वाभाविक है. महागठबंधन के नेताओं का यह विरोध बताता है कि वे चुनाव की हर बारीकी पर नजर रखे हुए थे और किसी भी संदिग्ध गतिविधि पर तुरंत प्रतिक्रिया देने को तैयार थे.

इस तरह की घटनाएँ दिखाती हैं कि भारतीय राजनीति में चुनाव की पवित्रता को बनाए रखने के लिए हर स्तर पर सतर्कता और निगरानी कितनी जरूरी है. जनता का विश्वास बनाए रखने के लिए निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव प्रक्रिया बेहद अहम होती है.