उत्तर प्रदेश ॥ SSP नोयडा की पुलिस अधिकारियों को कानू़नी बाड़े में खड़ा करने वाली गुप्त चिट्ठी लगभग 68 दिनों तक सत्ता के गलियारे में इधर से उधर उड़ती रही।
खास बात ये है कि गृह विभाग और पु़लिस के उच्च अफसरों ने खुद तो लेटर संज्ञान नहीं लिया, सीएम कार्यालय से भेजे गए निर्देशों की भी अनदेखी की। SSP नोयडा के खुलासे के बाद अब राजनौतिक गलियारे में बवाल मचा हु़आ है।
विश्वासनीय सूत्रों के अनुसार, सोशल-मीडिया में एसएसपी नोयडा का लेटर और उनसे संबंधित वीडियो वायरल होने का खेल सामने आने के बाद इस बात की पड़ताल हो रही है कि अंतिम इतने गंभीर मामले में कार्रवाई की चूक कौन-सी लेवल पर हुई।
उच्च स्तर पर कराई गई जांच में कई अहम बिंदु सामने आए हैं। मसलन, एसएसपी वैभव कृष्ण ने पुलिस महानिदेशक व अपर मुख्य सचिव गृह को एक ही लेटर भिन्न-भिन्न संबोधित करके लिखा। DGP को लिखे गए लेटर की प्रतिलिपि अपर मुख्य सचिव गृह और अपर मुख्य सचिव गृह को लिखे गए लेटर की प्रतिलिपि DGP को भेजी गई थी।
वैभव ने ये लेटर एक को संबोधित व दूसरे को सूचनार्थ लिखा था। इन दोनों ही लेटरों की प्रतिलिपि प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री को सीएम योगी के समक्ष रखने के लिए भेजी गई थी। सूत्रों के मुताबिक, एसएसपी का दिनांक रहित लेटर सीएम कार्यालय को अक्तूबर में मिला और इसे उसी वक्त सीएम के समक्ष रखा गया। सीएम के निर्देश पर इन लेटरों को 25 अक्तूबर 2019 को ही कार्रवाई के लिए गृह व पुलिस विभाग को भेज दिया गया।
जांच में तथ्य सामने आ रहे हैं कि पुलिस व गृह विभाग के अफसरों ने न सिर्फ वैभव के लेटर की अनदेखी कर दी बल्कि सीएम के निर्देश को भी नजरंदाज किया। अब सोशल मीडिया में लेटर और वीडियो वायरल होने के खेल से सरकार की जमकर किरकिरी हो रही है तो अफसर डैमैज कंट्रोल की कोशिश में जुटे हैं।