नई दिल्ली। सामूहिक दुष्कर्म कांड की बात करें तो आपको बता दें की हैदराबाद सामूहिक दुष्कर्म कांड के बाद एक बार फिर इंटरनेट पर सर्वसुलभ मुफ्त में उपलब्ध अश्लील सामग्री पर रोक लगाने की पूरे देश में चर्चा छिड़ गई है। राज्यसभा सभापति वेंकैया नायडू ने इस अश्लीलता के प्रसार को रोकने के लिए सांसदों की एक समिति से कारगर सुझाव मांगकर इस चर्चा को आगे बढ़ा दिया है।
यह बहस की चर्चा विषय है कि इंटरनेट पर मौजूद पोर्नोग्राफिक सामग्री से किशोर, तरुण व युवा विकृत मानसिकता के शिकार होकर दुष्कर्म जैसे जघन्य अपराध को अंजाम देते चले आ रहें है। पोर्नहब के आंकड़ों के अनुसार, भारत में 2013 से 2017 के बीच पोर्न ट्रैफिक में 121 फीसद का उछाल आया है।
यह दुनिया के किसी भी देश से ज्यादा है। साल 2013 में इसका 39 फीसद ट्रैफिक मोबाइल फोन से आता था। साल 2017 में इसकी हिस्सेदारी बढ़कर 86 फीसद हो गई है। यह टेलीकॉम सेवा प्रदाता कंपनियों द्वारा सस्ता डाटा दिए जाने के बाद इस प्रवृत्ति में बढ़ोतरी की बात की तस्दीक करता है।
वीडियो व्यूअरशिप की निगरानी करने वाली संस्था विडूली के अनुसार, जब से टेलीकॉम कंपनियों के बीच गलाकाट प्रतिस्पर्धा के चलते इंटरनेट के दाम बहुत सस्ते लगभग मुफ्त हुए तब से अश्लील सामग्री देखने वालों की संख्या में 75 फीसद इजाफा हुआ है। यही नहीं, देखने के समय में भी 60 फीसद इजाफा हुआ।
टेलीकॉम कंपनियों के इस कदम से दूसरे और तीसरे स्तर के कस्बों में भी यह प्रवृत्ति महामारी की तरह फैल गई। इंटरनेट पर अश्लील सामग्री देखने की प्रवृत्ति में तेजी टेलीकॉम कंपनियों में गलाकाट प्रतिस्पर्धा के बाद आई, जिसके तहत उन्होंने लगभग मुफ्त में उपभोक्ताओं को डाटा मुहैया कराना शुरू किया।