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भगवान श्री कृष्ण ने वैसे तो बहुत सी बाल लीलाएं की है। (Radhashtami 2022) उनकी बाल लीलाओं का जिक्र छिड़े और राधा का नाम न आये ऐसा नहीं हो सकता है। कृष्ण नगरी में ‘राधे-राधे’ बोले बिना किसी को ब्रजवासी होने का अहसास नहीं होता। नारद पंचरात्र के ज्ञानामृत सार में बताया गया है कि राधा और कृष्ण एक ही शक्ति के दो रूप हैं। वहीं पद्म पुराण में कहा गया है कि, श्रीकृष्ण परब्रह्म हैं, राधा उनकी पराशक्ति हैं, कृष्ण और राधा एक ही हैं और दोनों अष्टमी के ही दिन धरती पर जन्म लिया था हालांकि, उनकी आयु में 11 माह का अंतर था।

धार्मिक शास्त्रों के जानकार बताते हैं कि भाद्रपद की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को श्री कृष्ण का जन्म हुआ तो शुक्ल पक्ष की अष्टमी को उनकी आह्लादिनी शक्ति श्री राधिका जी का प्राकट्य हुआ था। हालांकि, राधा जी पहले आ चुकी थीं। इस दिन को राधाष्टमी या राधा जयंती (Radhashtami 2022) के तौर पर मनाया जाता है। धार्मिक शास्त्रों के जानकार बताते हैं कि राजा वृषभानु को वह यमुना किनारे रावल में शिशु रूप में प्राप्‍त हुईं थी। उसके ग्यारह महीने बाद रावल से 3 किलोमीटर दूर मथुरा में कंस के कारागार में श्री कृष्ण ने जन्म लिया था। रात को बेड़ियों से मुक्त हुए उनके पिता वासुदेव बाल कृष्ण को गोकुल ले गए थे। यहां नंदबाबा और यशोदा के घर कृष्‍ण-जन्‍मोत्‍सव मना, वही उनके दूसरे माता-पिता भी बने। (Radhashtami 2022)

तब पहली बार राधा ने दुनिया देखी

कहते हैं कि जब वृषभानु महाराज ने नंद बाबा के पुत्र श्रीकृष्ण के चर्चे सुने तो वह खुद अपनी पुत्री राधा जी को गोद में लेकर गोकुल आ गए। ऐसा माना जाता है कि तब तक राधा जी के नेत्र बंद ही रहे थे। गोकुल आने के बाद वह घुटने के बल चलते हुए बालकृष्ण के पास पहुंचीं, तभी राधा जी के नेत्र खुल गए और उन्होंने अपने जन्म के बाद अपने नेत्रों से सबसे पहले भगवान श्री कृष्ण के ही दर्शन किए। इसके कुछ वर्ष उपरांत जब बाल-कृष्ण डोलने लगे तो राधा जी से उनकी पहली मुलाकात ‘संकेत’ नामक स्थान पर हुई। ‘संकेत’ आज एक गांव है। (Radhashtami 2022)

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