about politics of india : राहुल गांधी की सजा पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। मोदी सरनेम प्रकरण में दो साल की सजा पर रोक के साथ ही राहुल के पॉलिटिकल करियर पर लगा ग्रहण फिलहाल हट गया है। अब न सिर्फ उनकी सांसदी बहाल होगी बल्कि अगर राहत बनी रहे तो राहुल 2024 का लोकसभा चुनाव भी लड़ सकेंगे।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद कांग्रेस न सिर्फ खुश है, बल्कि 2024 की लड़ाई के लिए उसकी ताकत भी बढ़ गई है। निश्चित तौर पर अपने सबसे बड़े नेता के बिना चुनावी मैदान में उतरना कांग्रेस के लिए बड़ी सिरदर्दी होती। इस फैसले का सीधा असर अब विपक्षी गठबंधन पर भी पड़ेगा। राहुल गांधी की सजा के बाद कांग्रेस गठबंधन में बैकफुट पर दिख रही थी। अब तक कांग्रेस प्रधानमंत्री के चेहरे को लेकर बहुत ज्यादा तवज्जो नहीं दे रही थी। मगर राहुल की सजा पर रोक के बाद माना जा रहा है कि कांग्रेस पीएम फेस पर मजबूती के साथ अपनी दावेदारी ठोकी है। (about politics of india)
काफी वक्त से राहुल गांधी को कांग्रेस प्रधानमंत्री के चेहरे के तौर पर प्रजेंट करती रही है। ऐसे में जब राहुल वापस आ गए हैं तो कांग्रेस दो हज़ार 24 का मौका नहीं छोड़ना चाहेगी। पिछले कुछ दिनों से लगातार कांग्रेस राहुल गांधी को नरेंद्र मोदी के टक्कर का नेता बताने की कोशिश कर रही है। कांग्रेस की दलील है कि भारत जोड़ो यात्रा के बाद राहुल गांधी की छवि में जबरदस्त सुधार हुआ है। हालांकि विपक्षी गठबंधन के कई दलों में ऐसे नेता हैं जो राहुल गांधी के नाम पर इशारों इशारों में ही असहमति जता चुके हैं। नीतीश कुमार, शरद पवार जैसे नेताओं की महत्वाकांक्षा भी प्रधानमंत्री बनने की रही है। (about politics of india)
हालांकि नीतीश कुमार मीडिया के कैमरों के सामने बार बार कहते रहे हैं कि वह इस रेस में नहीं हैं, लेकिन यह तो सिर्फ कहने वाली बात है। सबको पता है कि विपक्षी को जोड़ने चले नीतीश बाबू की असली मंशा क्या है। ऐसे में अगर कांग्रेस राहुल गांधी के नाम को आगे बढ़ाती है तो विपक्षी एकता में खलबली मच सकती है। हालांकि ममता बनर्जी खुलकर राहुल गांधी के नाम का समर्थन करती रही हैं। पिछले महीने बैंगलुरू की बैठक में ममता बैनर्जी ने पीएम चेहरे के लिए राहुल गांधी का नाम आगे बढ़ाया था। (about politics of india)
ममता ने कहा था कि राहुल हमारे पसंदीदा नेता हैं। हालांकि तब मल्लिकार्जुन खड़गे ने यह कहते हुए टाल दिया था कि कांग्रेस को सत्ता का लोभ नहीं है। लेकिन अब स्थिति बदल चुकी है। नरेंद्र मोदी और बीजेपी के खिलाफ पूरी ताकत के साथ विपक्षी एकजुट हो जाएं, इसके लिए अब तक कांग्रेस किसी भी फॉर्मूले और समझौते से पीछे नहीं हट रही थी। लेकिन राजनीतिक जानकार कहते हैं कि राहुल गांधी के संसदीय बहाल होने के बाद अब कांग्रेस के सुर बदल जाएंगे।
तो टूट सकता है गठबंधन (about politics of india)
कांग्रेस अपने दबदबे के साथ गठबंधन को आगे ले जाने की कोशिश करेगी। इसी महीने के अंत में मुंबई में विपक्षी गठबंधन की तीसरी बैठक होने जा रही है। जब कॉमन मिनिमम एजेंडा के साथ ही इंडिया का संयोजक चुना जाएगा। राहुल गांधी की सजा पर रोक के बाद ऐसी उम्मीद जताई जा रही है कि विपक्ष के बैठक की रणनीति बदल जाएगी। इसमें कोई दो राय नहीं है कि कांग्रेस इस गठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी और राहुल गांधी सबसे बड़े नेता हैं।
बाकी के नेता बहुत हद तक अपने अपने राज्यों की राजनीति तक ही सीमित हैं। चाहे वह शरद पवार हों या नीतीश कुमार हों या फिर ममता बैनर्जी। ऐसे में कांग्रेस 2024 की लड़ाई को मोदी बनाम राहुल के तौर पर दिखाने की कोशिश करेगी। राजनीतिक जानकार मानते हैं कि अगर ऐसा हुआ तो फिर इंडिया में खलबली मच सकती है और विपक्षी एकजुटता बनने से पहले ही बिखर सकती है। (about politics of india)
--Advertisement--