
नई दिल्ली। किसान नेता राकेश टिकैत ने एक बार फिर से सरकार से दो-दो हाथ करने का मन बना चुके हैं। उन्होंने सरकार के सामने अपनी कुछ मांगें रखी हैं और न माने जानें पर आंदोलन की चेतावनी दी है। राकेश टिकैत ने हाल ही में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को अपनी मांगों से अवगत कराया है।
गौरतलब है कि बीते साल लागू किये तीन नए कृषि कानूनों को वापस लिए जाने को लेकर हुए आंदोलन के दौरान टिकैत बड़े किसान नेता के रूप में सामने आए थे। आंदोलन के सामने झुकते हुए केंद्र सरकार ने नवंबर 2021 में तीनों कृषि कानूनों को वापस ले लिया था।
अब गत दिवस यानी बीते शुक्रवार को राकेश टिकैत ने मोहाली में लगभग 50 फार्म यूनियन और सामाजिक संगठनों को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि किसानों का संघर्ष अभी खत्म नहीं हुआ है और अगर केंद्र को लगता है कि संयुक्त किसान मोर्चा बंट गया है तो वह गलतफहमी में है। इस दौरान टिकैत ने संकेत दिया कि जरूरत पड़ी तो वे दोबारा आंदोलन करने के लिए भी तैयार हैं।
इस दौरान किसानों ने बीबीएमबी में पंजाब और हरियाणा के सदस्यों के स्थाई प्रतिनिधित्व को समाप्त करने का फैसला वापस लेने की मांग की है। इसके साथ ही पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड के सिलेबस में सिख इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश करने वालों के खिलाफ कार्रवाई, लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के खिलाफ कार्रवाई, उनके बेटे आशीष मिश्रा और उनके सहयोगियों को सजा देने की मांग की है।
इसके अतिरिक्त किसान नेता, किसान कैदियों की रिहाई, स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशों के आधार पर सभी फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करने के लिए कानून और एमएसपी के तहत सभी फसलों की खरीद की गारंटी की मांग कर रहे हैं। बता दने कि किसान नेता राकेश टिकैत और डॉक्टर दर्शन पाल के नेतृत्व में 35 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल बनवाली लाल पुरोहित के माध्यम से राष्ट्रपति कोविंद को मेमोरेंडम भेजा है।