नई दिल्ली, 04 अक्टूबर यूपी किरण। कोविड-19 के संक्रमण को लेकर देश और दुनिया में ज्यादा भय इसके फैलाव को लेकर व्याप्त है। इसके संक्रमण के फैलने की कई वजह हो सकते हैं, जिसमें से एक वजह करेंसी नोटों का लेन-देन भी है।
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने संकेत दिए है कि करेंसी नोट के जरिए किसी भी तरह का बैक्टीरिया और वायरस एक हाथ से दूसरे हाथ तक फैल सकता है। इस लिहाज से करेंसी नोट की बजाय लोगों को डिजिटल ट्रांजेक्शन का उपयोग ज्यादा से ज्यादा करना चाहिए। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने हाल ही में आरबीआई को एक चिट्ठी लिखकर इसका जवाब मांगा था, जिसका जवाब देते हुए रिजर्व बैंक ने अपनी एक मेल में अप्रत्यक्ष रूप से इसका उत्तर दिया है।
कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि करेंसी नोटों से किसी भी प्रकार के बैक्टीरिया या वायरस जैसे कोविड-19 का संक्रमण तेजी से फैलने की संभावना सबसे ज्यादा है। इसी खतरे के मद्देनजर कैट ने केंद्र सरकार के मंत्रियों और संबंधित प्राधिकरणों को इसका स्पष्टीकरण लेने के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है। हालांकि, आरबीआई ने भी इस बेसिक सवाल का जवाब सीधा ना देकर सांकेतिक तौर पर दिया है। लेकिन आरबीआई ने इससे इनकार भी नहीं किया है। इसलिए आरबीआई ने करेंसी भुगतान से बचने के लिए डिजिटल भुगतान के ज्यादा उपयोग की सलाह दी है।
खंडेलवाल ने कहा कि भारत और अन्य देशों के विश्वसनीय संगठनों की विभिन्न रिपोर्टों ने ये साबित किया है कि करेंसी नोट के जरिए कई तरह के बैक्टीरिया और वायरस फ़ैल सकता है। चूंकि भारत में नकदी का उपयोग बहुत अधिक होता है। इसलिए कैट ने वित्त मंत्री से आग्रह किया है की देश में डिजिटल भुगतान को ज्यादा से ज्यादा प्रोत्साहित करने के लिए सरकार को एक इन्सेंटिव स्कीम की घोषणा करनी चाहिए, ताकि व्यापारी एवं अन्य लोग अपने रोजमर्रा के कार्यों में नकदी की बजाय डिजिटल भुगतान का उपयोग ज्यादा करें।
इसके अलावा कैट महामंत्री ने कहा कि देश में नकदी के उपयोग को कम करने के लिए अन्य कदम भी उठाना जरूरी है। डिजिटल लेन-देन पर बैंक शुल्क को समाप्त किया जाए और बैंक शुल्क के एवज में सीधे बैंकों को सब्सिडी दी जानी चाहिए। इस तरह की सब्सिडी सरकार पर वित्तीय बोझ नहीं पड़ने देगी, क्योंकि इससे बैंक नोटों की छपाई पर होने वाले खर्च में कमी आएगी और देश में ज्यादा से ज्यादा डिजिटल भुगतान को अपनाया जा सकेगा।