आरबीआई ने दिए संकेत, करेंसी नोटों के लेन-देन से भी बढ़ सकता है कोरोना संक्रमण

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नई दिल्‍ली, 04 अक्‍टूबर यूपी किरण। कोविड-19 के संक्रमण को लेकर देश और दुनिया में ज्‍यादा भय इसके फैलाव को लेकर व्‍याप्‍त है। इसके संक्रमण के फैलने की कई वजह हो सकते हैं, जिसमें से एक वजह करेंसी नोटों का लेन-देन भी है।

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने संकेत दिए है कि करेंसी नोट के जरिए किसी भी तरह का बैक्टीरिया और वायरस एक हाथ से दूसरे हाथ तक फैल सकता है। इस लिहाज से करेंसी नोट की बजाय लोगों को डिजिटल ट्रांजेक्शन का उपयोग ज्‍यादा से ज्‍यादा करना चाहिए। कन्‍फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने हाल ही में आरबीआई को एक चिट्ठी लिखकर इसका जवाब मांगा था, जिसका जवाब देते हुए रिजर्व बैंक ने अपनी एक मेल में अप्रत्यक्ष रूप से इसका उत्तर दिया है।

कैट ने 9 मार्च, 2020 को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को एक चिट्ठी लिखी थी, जिसमें यह स्पष्ट करने का आग्रह किया गया था कि करेंसी नोट बैक्टीरिया और वायरस के वाहक हैं या नहीं, जिसे वित्त मंत्रालय ने रिजर्व बैंक को भेजा था। आरबीआई ने उसी के जवाब में 3 अक्टूबर, 2020 को एक मेल के जरिए कैट को इस बात के संकेत दिए हैं।
कैट को भेजे अपने उत्तर में आरबीआई ने कहा है कि कोरोना महामारी को सीमित करने के लिए लोग अपने घरों से ही मोबाइल बैंकिंग, इंटरनेट बैंकिंग, क्रेडिट या डेबिट कार्ड जैसे ऑनलाइन चैनलों के माध्यम से डिजिटल भुगतान कर सकते हैं। आरबीआई ने करेंसी का उपयोग करने या एटीएम से नकदी निकालने से बचने की भी सलाह दी है। साथ ही आरबीआई ने कहा कि समय-समय पर कोविड-19 पर जारी सार्वजनिक स्वास्थ्य दिशा-निर्देशों का कड़ाई से पालन किया जाना जरूरी है।

कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि करेंसी नोटों से किसी भी प्रकार के बैक्टीरिया या वायरस जैसे कोविड-19 का संक्रमण तेजी से फैलने की संभावना सबसे ज्यादा है। इसी खतरे के मद्देनजर कैट ने केंद्र सरकार के मंत्रियों और संबंधित प्राधिकरणों को इसका स्पष्टीकरण लेने के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है। हालांकि, आरबीआई ने भी इस बेसिक सवाल का जवाब सीधा ना देकर सांकेतिक तौर पर दिया है। लेकिन आरबीआई ने इससे इनकार भी नहीं किया है। इसलिए आरबीआई ने करेंसी भुगतान से बचने के लिए डिजिटल भुगतान के ज्‍यादा उपयोग की सलाह दी है।

आरबीआई ने 29 अगस्त, 2019 को जारी वार्षिक रिपोर्ट में कहा है कि “प्रचलन में बैंक नोटों का मूल्य और मात्रा क्रमश: 17.0 फीसदी और 6.2 फीसदी से बढ़कर साल 2018 और 2019 में 21,109 बिलियन और 108,759 मिलियन तक पहुंच गई थी। मूल्य के संदर्भ में 500 और 2000 के नोटों की हिस्सेदारी, जो मार्च 2018 में बैंक नोट्स के कुल मूल्य का 80.2 फीसदी थी। वह मार्च 2019 में बढ़कर 82.2 फीसदी हो गई। 1 जुलाई, 2018 से 30 जून, 2019 के दौरान करेंसी मुद्रण पर कुल व्यय 48.11 बिलियन रहा, जो वर्ष 2017-18 में 49.12 बिलियन था।

खंडेलवाल ने कहा कि भारत और अन्य देशों के विश्वसनीय संगठनों की विभिन्न रिपोर्टों ने ये साबित किया है कि करेंसी नोट के जरिए कई तरह के बैक्टीरिया और वायरस फ़ैल सकता है। चूंकि भारत में नकदी का उपयोग बहुत अधिक होता है। इसलिए कैट ने वित्त मंत्री से आग्रह किया है की देश में डिजिटल भुगतान को ज्‍यादा से ज्‍यादा प्रोत्साहित करने के लिए सरकार को एक इन्सेंटिव स्कीम की घोषणा करनी चाहिए, ताकि व्यापारी एवं अन्य लोग अपने रोजमर्रा के कार्यों में नकदी की बजाय डिजिटल भुगतान का उपयोग ज्‍यादा करें।

 

इसके अलावा कैट महामंत्री ने कहा कि देश में नकदी के उपयोग को कम करने के लिए अन्य कदम भी उठाना जरूरी है। डिजिटल लेन-देन पर बैंक शुल्क को समाप्त किया जाए  और बैंक शुल्क के एवज में सीधे बैंकों को सब्सिडी दी जानी चाहिए। इस तरह की सब्सिडी सरकार पर वित्तीय बोझ नहीं पड़ने देगी, क्योंकि इससे बैंक नोटों की छपाई पर होने वाले खर्च में कमी आएगी और देश में ज्यादा से ज्यादा डिजिटल भुगतान को अपनाया जा सकेगा।

 

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