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Up kiran,Digital Desk : नैनीताल स्थित उत्तराखंड हाईकोर्ट में वकीलों के बीच जबरदस्त तनातनी का माहौल है। गुरुवार का दिन यहाँ गहमागहमी भरा रहा। मामला उत्तराखंड हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के चुनाव का है, जो अब 'नाक की लड़ाई' बन गया है।

असल में, बार एसोसिएशन अपनी नई कार्यकारिणी चुनने की तैयारी में था, लेकिन ऐन वक्त पर उत्तराखंड बार काउंसिल ने चुनाव पर 'ब्रेक' लगाने का फरमान सुना दिया। लेकिन वकीलों ने इस आदेश को मानने से साफ इनकार कर दिया है, जिससे टकराव की स्थिति पैदा हो गई है।यहां आसान शब्दों में समझिए कि आखिर वकीलों ने 'बगावत' क्यों की?

ऐन वक्त पर आया 'रोक' का आदेश

गुरुवार दोपहर को हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की आम सभा (General Body Meeting) होनी थी। सब कुछ तय था। लेकिन बैठक शुरू होने से ठीक पहले राज्य बार काउंसिल ने एक आदेश जारी किया कि पूरे राज्य में सभी बार एसोसिएशन के चुनाव रोक दिए जाएं। उनका तर्क था कि मार्च तक बार काउंसिल के खुद के चुनाव होने हैं, इसलिए अभी ये चुनाव न कराए जाएं।इस आदेश ने आग में घी का काम किया। वहां मौजूद अधिवक्ता भड़क गए। उन्होंने कहा कि हम तैयारी करके आए हैं और ऐन वक्त पर यह आदेश बेतुका है।

वकीलों ने पूछा- "आप होते कौन हैं?"

नाराज वकीलों ने बार काउंसिल के इस आदेश की 'वैधता' पर ही सवाल उठा दिए। उनका तर्क काफी कानूनी और सीधा था:

  1. कार्यकाल खत्म: वकीलों का कहना है कि उत्तराखंड बार काउंसिल का अपना कार्यकाल ही दिसंबर 2024 में खत्म हो चुका है। तो जो खुद 'एक्सपायर' हो चुके हैं, वो आदेश कैसे दे सकते हैं?
  2. सुप्रीम कोर्ट का दखल: वकीलों ने दलील दी कि बार काउंसिल के चुनाव के लिए सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व जज राजीव शर्मा को चुनाव अधिकारी बना दिया है। ऐसे में काउंसिल के पुराने अध्यक्ष के पास अब कोई भी आदेश देने का पॉवर नहीं बचता। अगर कोई फैसला लेना भी है, तो वो नियुक्त चुनाव अधिकारी लेंगे।

वकीलों ने कर दी अपनी 'मनमानी'

बार काउंसिल के 'स्टॉप' ऑर्डर को दरकिनार करते हुए हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने अपनी बैठक जारी रखी और एक बड़ा फैसला लिया।

  • चुनाव अधिकारी नियुक्त: आम सहमति से वरिष्ठ अधिवक्ता कुर्बान अली को चुनाव अधिकारी चुना गया। अब वही चुनाव करवाएंगे।
  • पर्ची सिस्टम से वोटिंग: तय हुआ है कि साल 2025–2026 की कार्यकारिणी का चुनाव 'पर्ची सिस्टम' (Slip System) से होगा।

बैठक में अध्यक्ष डी.एस. मेहता और महासचिव ने अपने कार्यकाल का हिसाब-किताब भी दिया। साफ है कि नैनीताल के वकील पीछे हटने के मूड में नहीं हैं और चुनाव होकर रहेंगे।