Up kiran,Digital Desk : भारतीय अर्थव्यवस्था और आम आदमी की जेब से जुड़ी कुछ बेहद महत्वपूर्ण खबरें सामने आई हैं। एक तरफ जहां किचन का बजट सुधरने वाला है, वहीं दूसरी तरफ सरकार को अपनी तिजोरी संभालने की चिंता है। आसान शब्दों में समझें तो खेती और किसानी के मोर्चे पर खुशखबरी है, लेकिन सरकारी खर्च और कमाई के गणित में थोड़ा झोल नजर आ रहा है।
आइए, विस्तार से समझते हैं कि देश की आर्थिकी और आपके घर के बजट पर इन खबरों का क्या असर पड़ने वाला है।
महंगाई के दौर में सबसे ज्यादा चिंता रसोई के बजट की होती है। लेकिन, अब आपके चेहरे पर मुस्कान लाने वाली खबर आ रही है। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जो आंकड़े दिए हैं, वो काफी राहत भरे हैं। अनुमान है कि साल 2024-25 में देश में फल और सब्जियों की "रिकॉर्ड तोड़" पैदावार होने वाली है।
अब नहीं सताएगी प्याज की कीमतें
अक्सर हम देखते हैं कि प्याज के दाम आसमान छूने लगते हैं, लेकिन इस बार शायद ऐसा न हो। सरकारी अनुमान के मुताबिक, प्याज का उत्पादन 26.88% बढ़ने वाला है। यह 307 लाख टन तक पहुंच सकता है। इसके साथ ही आलू की पैदावार भी करीब 2% बढ़ने की उम्मीद है।
सिर्फ सब्जी ही नहीं, फलों की टोकरी भी भरने वाली है। आम, केला, पपीता और तरबूज जैसे फलों का उत्पादन 5% से ज्यादा बढ़कर लगभग 12 करोड़ टन होने वाला है। यानी बाजार में आवक अच्छी रहेगी तो दाम भी काबू में रहेंगे।
अर्थव्यवस्था की रफ़्तार 'सुपरफास्ट'
खेती-किसानी से आगे बढ़ें तो देश की अर्थव्यवस्था (GDP) के लिए भी अच्छे संकेत हैं। इंडिया रेटिंग्स का कहना है कि चालू वित्त वर्ष में हमारी जीडीपी 7% की दर से बढ़ सकती है। पहले यह अनुमान थोड़ा कम (6.3%) था, लेकिन जून तिमाही में जो जबरदस्त काम हुआ है, उसने उम्मीदें बढ़ा दी हैं। अमेरिका जैसे देशों में व्यापारिक हलचल का असर भी हम पर ज्यादा नहीं पड़ा है।
सरकार की 'आमदनी अठन्नी, खर्चा रुपैया'?
हालांकि, सब कुछ हरा-भरा नहीं है। सरकार के सामने एक बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है। मॉर्गन स्टैनली की एक रिपोर्ट कहती है कि सरकार को अब अपने खर्चों पर लगाम लगानी होगी।
मुद्दा यह है कि सरकार विकास कार्यों (Capex) पर खूब पैसा खर्च कर रही है (करीब 40% की बढ़ोतरी), लेकिन टैक्स से होने वाली कमाई उस रफ़्तार से नहीं बढ़ रही। पहली छमाही में टैक्स कलेक्शन उम्मीद से कम रहा है। सरकार का राजस्व घाटा (Fiscal Deficit) टारगेट से बाहर न चला जाए, इसके लिए अब आने वाले 6 महीनों में सरकारी खर्चों की रफ़्तार थोड़ी धीमी करनी पड़ सकती है। मूडीज ने भी चेताया है कि टैक्स में कटौती करने से सरकार की झोली हल्की हुई है।
कंपनियों की चांदी, बिहार का मखाना
बाजार और निवेश करने वालों के लिए भी अच्छी खबरें हैं। त्योहारी सीजन और गानों में मांग बढ़ने से घरेलू कंपनियों की कमाई अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में 10% तक बढ़ सकती है। इसका सबसे ज्यादा फायदा होटल, ऑटोमोबाइल और रिटेल सेक्टर को होगा। इक्रा (ICRA) की रिपोर्ट कहती है कि शहरों में अब लोग खुलकर खर्च कर रहे हैं।
उधर, बिहार के लिए भी एक बड़ी योजना है। बिहार के मशहूर मखाना और शहद को अब दुनिया भर में पहचान मिलेगी। सरकार इनके लिए एक विशेष 'निर्यात क्लस्टर' बनाने जा रही है, ताकि इनकी क्वालिटी अंतरराष्ट्रीय स्तर की हो और बिहार के किसान डॉलर में कमाई कर सकें।
वहीं, एल्युमीनियम इंडस्ट्री सरकार से गुहार लगा रही है कि इंपोर्ट ड्यूटी (आयात शुल्क) कम की जाए, ताकि उनका खर्चा कम हो सके। कुल मिलाकर, आने वाला समय मिला-जुला रहने वाला है—आम आदमी के लिए राहत, तो सरकार के लिए थोड़ी कसरत!
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