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Up kiran,Digital Desk : यहाँ अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नए और महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट 'जेनेसिस मिशन' पर एक नेचुरल और जानकारीपूर्ण आर्टिकल है। इसे बहुत ही सरल और एंगेजिंग भाषा में लिखा गया है, जैसे हम और आप आपस में बात कर रहे हों।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपनी अनूठी और आक्रामक नीतियों के लिए जाने जाते हैं। इस बार उन्होंने साइंस और टेक्नोलॉजी की दुनिया में एक बड़ा धमाका किया है, जिसका नाम है "जेनेसिस मिशन" (Genesis Mission)। नाम सुनकर आपको शायद किसी हॉलीवुड की साइंस फिक्शन फिल्म की याद आ जाए, लेकिन हकीकत में यह अमेरिका के भविष्य को सुरक्षित करने वाला अब तक का सबसे बड़ा तकनीकी कदम माना जा रहा है।

व्हाइट हाउस का मानना है कि यह सिर्फ एक सरकारी योजना नहीं, बल्कि 'इनोवेशन के नए दौर' की शुरुआत है।

आखिर क्या है यह 'जेनेसिस मिशन'?

इसे बिल्कुल आसान भाषा में समझते हैं। अभी तक वैज्ञानिक खोजें (Scientific Discoveries) इंसानी दिमाग और मैन्युअल रिसर्च पर निर्भर थीं, जिसमें सालों लग जाते थे। ट्रंप का जेनेसिस मिशन अब इस काम में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) को लगा देगा।

इस मिशन का मुख्य मकसद एक ऐसा "एकीकृत AI प्लेटफॉर्म" (Integrated AI Platform) बनाना है, जो अमेरिका के पास मौजूद वैज्ञानिक डेटा के विशाल भंडार का इस्तेमाल कर सके। सरल शब्दों में कहें तो, अमेरिका के पास जो भी रिसर्च और डेटा सालों से फाइलों या सर्वरों में बंद है, अब एआई उस पूरे डेटा को पढ़ेगा और उससे नई-नई खोजें करेगा।

पूरे देश का दिमाग एक जगह जुड़ेगा

इस मिशन की सबसे खास बात यह है कि यह अकेले काम नहीं करेगा। यह अमेरिका के पूरे रिसर्च ईकोसिस्टम को एक धागे में पिरो देगा। इसमें नेशनल लैब्स, बड़ी-बड़ी यूनिवर्सिटीज, प्राइवेट टेक कंपनियां और सुरक्षा एजेंसियां सब मिलकर काम करेंगी।

ट्रंप चाहते हैं कि एक ऐसा "अमेरिकी विज्ञान और सुरक्षा प्लेटफॉर्म" बने जो न केवल नई परिकल्पनाएं (Idea) सोचे, बल्कि खुद ही उन्हें टेस्ट भी करे। इससे वैज्ञानिक खोज की रफ़्तार कई गुना बढ़ जाएगी।

ट्रंप की नजर इन 4 फायदों पर है

  1. तकनीकी बादशाहत: अमेरिका दुनिया में टेक्नॉलजी का लीडर बना रहे और चीन जैसे प्रतिद्वंद्वी उससे आगे न निकल पाएं।
  2. राष्ट्रीय सुरक्षा: सेना और रक्षा विभाग को सबसे आधुनिक हथियार और सिस्टम मिलें।
  3. एनर्जी पावर: ऊर्जा के क्षेत्र में अमेरिका का दबदबा बना रहे।
  4. पैसों का सही इस्तेमाल: रिसर्च पर करदाताओं (Taxpayers) का जो पैसा लगता है, एआई की मदद से उसका रिटर्न कई गुना ज्यादा मिले।

ऊर्जा मंत्री के हाथ में होगी कमान और 60 दिन की डेडलाइन

डोनाल्ड ट्रंप अपने फैसलों में देरी पसंद नहीं करते, यह इस मिशन में भी साफ़ दिख रहा है। उन्होंने प्रशासन को सख्त निर्देश जारी किए हैं। ऊर्जा विभाग (Energy Department) को सिर्फ 60 दिनों का समय दिया गया है। इन दो महीनों में उन्हें ऐसी 20 बड़ी चुनौतियों की लिस्ट बनानी है, जिन पर यह एआई मिशन सबसे पहले काम करेगा।

इसमें क्वांटम कंप्यूटिंग, सेमीकंडक्टर चिप्स, बायोटेक्नोलॉजी, न्यूक्लियर फ्यूजन (भविष्य की ऊर्जा) और क्रिटिकल मटीरियल्स जैसे विषय शामिल होंगे।

मिशन को चलाने की पूरी जिम्मेदारी देश के ऊर्जा मंत्री के कंधों पर होगी। जरूरत पड़ने पर एक विशेष राजनीतिक अधिकारी भी नियुक्त किया जा सकता है जो रोजमर्रा के काम देखेगा।

कुल मिलाकर, जेनेसिस मिशन का सन्देश साफ़ है— अमेरिका अब एआई को सिर्फ चैट करने या फोटो बनाने के लिए नहीं, बल्कि विज्ञान की जड़ों को हिलाने और नया भविष्य गढ़ने के लिए इस्तेमाल करने जा रहा है।