Up kiran,Digital Desk : रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा दोनों देशों के संबंधों में एक नया अध्याय लेकर आई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति पुतिन के बीच हुई शिखर बैठक के बाद यह साफ हो गया है कि भारत और रूस अब अपनी दोस्ती को व्यापार और सुरक्षा के क्षेत्र में और भी ज्यादा मजबूत करने जा रहे हैं। बैठक में कई बड़े फैसले लिए गए, लेकिन सबसे बड़ा फैसला दोनों देशों के बीच व्यापार के तरीके को लेकर हुआ है।
1. अब डॉलर का चक्कर खत्म! रुपये-रूबल में होगा कारोबार
यह इस बैठक का सबसे महत्वपूर्ण फैसला है। भारत और रूस ने यह तय किया है कि अब वे आपस में व्यापार के लिए अपनी-अपनी राष्ट्रीय मुद्राओं यानी रुपये और रूबल का इस्तेमाल करेंगे। इसका मतलब है कि अब व्यापार के लिए अमेरिकी डॉलर पर निर्भरता कम हो जाएगी, जिससे लेन-देन और भी आसान और तेज हो जाएगा। दोनों देशों ने 2030 तक आपसी व्यापार को 100 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य भी रखा है।
2. ऊर्जा में बढ़ेगी भागीदारी, तेल-गैस पर होगा ज्यादा काम
भारत और रूस ने ऊर्जा के क्षेत्र में अपने सहयोग को 'विशेष रणनीतिक साझेदारी' का एक मजबूत स्तंभ बताया है। दोनों देश तेल, गैस (एलएनजी और एलपीजी), पेट्रोकेमिकल और तेल निकालने की नई तकनीकों पर मिलकर काम करेंगे। रूसी कंपनियां भारत के ऊर्जा सेक्टर में और ज्यादा निवेश करेंगी, जिससे भारत की ऊर्जा सुरक्षा और मजबूत होगी।
3. बनाए जाएंगे नए रास्ते, बढ़ेगी कनेक्टिविटी
व्यापार को आसान बनाने के लिए दोनों देश नए और तेज परिवहन गलियारे बनाने पर सहमत हुए हैं। इसमें अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (INSTC) और चेन्नई-व्लादिवोस्तोक गलियारा जैसे बड़े प्रोजेक्ट्स पर काम तेज किया जाएगा। इससे माल को एक देश से दूसरे देश पहुंचाने में समय और पैसा, दोनों की बचत होगी।
4. आतंकवाद पर मिलकर करेंगे प्रहार
दोनों नेताओं ने आतंकवाद के खिलाफ मिलकर लड़ने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। संयुक्त बयान में भारत के पहलगाम और मॉस्को के क्रोकस सिटी हॉल में हुए आतंकी हमलों की कड़ी निंदा की गई। अल-कायदा और आईएस/दाएश जैसे आतंकी संगठनों के खिलाफ ठोस कार्रवाई करने पर सहमति बनी, ताकि इनके ठिकानों, पैसे के नेटवर्क और सीमा पार गतिविधियों को पूरी तरह से खत्म किया जा सके।
5. PM मोदी ने उठाया रूसी सेना में फंसे भारतीयों का मुद्दा
प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति पुतिन के सामने रूसी सेना में शामिल हुए भारतीय नागरिकों का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने इन भारतीयों की जल्द से जल्द रिहाई सुनिश्चित करने पर जोर दिया। विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने बताया कि सरकार इस मुद्दे पर सक्रिय रूप से काम कर रही है। अब तक रूसी सेना में शामिल 127 भारतीयों में से 98 को वापस लाया जा चुका है। सरकार ने भारतीयों को आगाह किया है कि वे ऐसे किसी भी प्रस्ताव को स्वीकार न करें।
इन बड़े फैसलों के अलावा, भारत ने रूस के नागरिकों के लिए 30 दिनों के लिए मुफ्त ई-टूरिस्ट वीजा की भी शुरुआत की है, जिससे दोनों देशों के लोगों के बीच आपसी संबंध और मजबूत होंगे।
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