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राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के अंतर्गत खेतों में पड़े पराली में आग लगाना कानूनन जुर्म है। इसके बाद भी किसान आग लगा रहे है। इससे मिट्टी की उर्वरक क्षमता तो घटती है साथ ही पर्यावरण संतुलन बिगड़ता है जो इंसानी स्वास्थ्य के लिए खतरा है। इससे निकलने वाला धुआं वायुमंडल में जाकर मिल जाता है। इससे ग्लोबल वार्मिग ग्राफ बढ़ता है। कार्बनडाई आक्साइड की मात्रा बढ़ने से टेम्परेचर में इजाफा होता है।

इन दिनों धमतरी जिले से सटे हुए आस-पास के गांव में आगजनी की घटनाएं हो रही है। खेतों में पराली को जलाने से आग भभकते हुए दूर तक पहुंच जाती है, जिससे बड़ी अनहोनी की आशंका बनी रहती है। कुछ दिनों पूर्व शहर के नेशनल हाईवे 30 में सेहराडबरी के पास स्थित बालाजी एचपी पेट्रोल पंप के पास अर्जुनी की ओर से खेत में जलाई गई पराली की आग पहुंच गई थी। वक्त रहते उस पर काबू पा लिया गया, वरना बड़ा हादसा हो सकता था।

शासन-प्रशासन के निरंतर समझाईश के बावजूद किसान पराली जलाने से बाज नहीं आ रहे हैं। पराली जलाने से न सिर्फ प्रदूषण फैल रहा है बल्कि बड़ी दुर्घटना की भी आशंका बनी रहती है। बीते दिनों कोलियारी के पास खेतों में आग लग गई थी, जिस पर मुश्किल से काबू पाया गया था।

शुक्रवार को अर्जुनी खार में किसानों ने पराली में आग लगा दी। जो धीरे से बढ़ते हुए बालाजी पेट्रोल पंप के पीछे तक पहुंच गयी, जिसे देखते हुए फायर ब्रिगेड को सूचना दी गई। यदि 50 फीट और आग भीतर पहुंचती तो कल्पना नहीं किया जा सकता कि इससे कितना बड़ा हादसा हो सकता था।

 

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