ओम प्रकाश तिवारी
कोरोना त्रासदी में जब बड़े-बड़े ताकतवर देश और उनकी जनता जीने के लिए जद्दोजहज कर रही है, हम अपने हुक्मरानों के ऐतिहासिक नेतृत्व में नए और आत्मनिर्भर भारत का निर्माण कर रहे हैं। करना भी चाहिए। युगों बाद हमें ऐसा हुक्मरां जो मिला है। तभी तो महान देश भारत में 30 जनवरी को पहला कोरोना मरीज मिलने के बावजूद हमने अंतरराष्ट्रीय उड़ानों को बंद नहीं किया। आखिर में कोरोना प्रभावित अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की अगवानी की 133 करोड़ भारतवासियों की प्रबल आकांक्षा की भी तो लाज रखनी थी।
अब 24 फरवरी को ट्रंप के आगे-पीछे कितने अमेरिकी आए, उनमें से कितनों का कोरोना टेस्ट हुआ ? इससे किसी को क्या मतलब? ‘नमस्ते ट्रंप’ के नाम पर एक लाख से अधिक लोगों की भीड़ जुटाकर अहमदाबाद के मोटेरा क्रिकेट स्टेडियम में उनका सम्मान किया गया। किस बात के लिए? इससे देश के लोगों को क्या मतलब ?
वैश्विक अर्थव्यवस्था के पुनरुद्धार में लगेगा समय, करोड़ों लोगों का गरीबी की दलदल में फंसना तय
इसमें कोई दो राय नहीं है कि 56 इंची सीने वाले प्रधानमंत्री के कुशल नेतृत्व में हमारा महान देश प्रगति के पथ पर द्रुत गति से अग्रसर है। देश के 133 करोड़ लोग पहली बार खुशहाल हैं। तभी तो कोरोना की मार से जब अमेरिका, स्पेन, ब्रिटेन और फ्रांस जैसे देश कराह रहे हैं, तो हमारे अवतारी प्रधानमंत्री जी की बहुत छोटी सी अपील पर देशवासियों ने उत्साह के साथ ताली और थाली बजाई, मोम बत्ती और दिए भी जलाए, पटाखे भी फोड़े और हां विजय जुलुश भी निकाले गए।
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कोरोना काल में कांग्रेस का उभार
पुरानी कहावत है कि जो व्यक्ति, समाज या देश समय के साथ बदलता रहता है, वही आगे बढ़ता है। शायद इस कहावत से प्रधानमंत्री जी ने बचपन में ही शिक्षा ले ली थी। तभी तो कोरोना के पहले और दूसरे चरण में प्रधानमंत्री जी ने हम देशवासियों को कोरोना को पराजित करने का मंत्र दिया। कोरोना का कहर बढ़ने के साथ ही प्रधानमंत्री जी ने खुद को परिवर्तित किया। उन्होंने देशवासियों से कोरोना के साथ जीना सीखने की अपील कर डाली।
कोरोना काल : देश की नीतियों का विद्रूप है भुखमरी
अब हम भारत के जन-गण अपने महान प्रधानमंत्री जी की अपील का पालन करते हुए कोरोना से नजदीकियां बढ़ानी शुरू कर दी है। आखिर में जिसके साथ जिंदगी जीनी है, उससे परहेज़ कैसा ? रीतिकाल में जेठ की तपती दुपहरी में जब मोर और सांप, मृग और बाघ एक साथ रह सकते हैं तो, हम छोटे से मासूम विषाणु कोरोना के साथ क्यों नहीं रह सकते ? आखिर में कोरोना ने किसका क्या बिगाड़ा है ? सत्यानाश हो चीन और अमेरिका के अफवाह तंत्र का, जिसने मासूम से कोरोना के चरित्र का हनन किया।