कोरोना काल : देश की नीतियों का विद्रूप है भुखमरी

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ओम प्रकाश तिवारी
कोरोना काल में में राजधानी दिल्ली से लेकर झारखंड; उड़ीसा और छत्तीसगढ़ के सुदूर गांवों तक करोड़ों लोग भुखमरी का सामना कर रहे हैं। करोड़ों लोगों के पास न तो राशन कार्ड हैं और न ही आधार कार्ड। लिहाजा इन लोगों को न तो पीडीएस के जरिये राशन मिल रहा और न ही सरकार द्वारा किए जा रहे तात्कालिक उपायों का फायदा मिल पा रहा है। संकट की घड़ी में ऐसे लोग भुखमरी का शिकार हो रहे हैं।

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उल्लेखनीय है कि देश में अनाज की कमी नहीं है। अनाज के गोदाम ठसाठस भरे हुए हैं। एफसीआई के गोदामों में कम से साढ़े सात करोड़ टन अनाज भरा हुआ है। इससे पहले इतना अनाज एफसीआई के गोदामों में कभी नहीं रहा था।अनाज रखने की पर्याप्त जगह न होने के कारण इसका बड़ा हिस्सा सड़ रहा है। केंद्रीय खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्री रामविलास पासवान कह चुके हैं कि अगले नौ महीने के लिए अनाज देश में मौजूद है। रबी की नई उपज भी तैयार है। इसके बावजूद देश के तमाम हिस्सों से लोगों के भूखे रहने की खबरों का आना पांच ट्रिलियन की इकोनॉमी का सपना देखने वाले इस देश की नीतियों का विद्रूप ही है।

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सरकार ने लॉकडाउन के बाद राहत पैकेज के तहत सार्वजनिक वितरण प्रणाली के जरिये हर देशवासी को तीन महीने तक अतिरिक्त पांच किलो अनाज और एक किलो दाल मुफ्त में देने की घोषणा की थी। लेकिन करोड़ों गरीब जिनके पास राशन कार्ड नहीं है; उन्हें इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। यह बड़ी आबादी भोजन की मोहताज है। लॉकडाउन ने इनकी मेहनत-मजदूरी का भी रास्ता बंद कर दिया है। लॉकडाउन की सबसे ज्यादा मार गरीबों और असंगठित क्षेत्र के कामगारों और आदिवासियों पर पड़ी है।

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देश में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर 2013 राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून लागू हुआ था। इसके तहत केंद्र सरकार राज्य सरकारों के जरिये देश की आबादी का लगभग 67 फीसदी आबादी को हर महीने सस्ते दर पर पांच किलो अनाज देती है। खाद्य सुरक्षा कार्यकर्ता देश के हर नागरिक को पीडीएस के दायरे में लाए जाने की मांग करते रहे हैं। अब कोरोना संकट काल में यूपी, दिल्ली, झारखंड, छत्तीसगढ़, राजस्थान और तेलंगाना समेत कई राज्यों ने हर जरूरतमंद को अनाज देने की घोषणा की है। लेकिन गरीबों के लिए इसकी प्रक्रिया जटिल है। इसलिए देश के हर नागरिक को पीडीएस के दायरे में लाया जाना चाहिए। सरकार को तत्काल एक अध्यादेश लाकर खाद्य सुरक्षा कानून के तहत पीडीएस कवरेज को अपडेट करने के कदम उठाने चाहिए ताकि करोंडो जरूरतमंदों को इसमें शामिल किया जा सके। इसके साथ ही सबको राशन देने के कदम उठाए जाएं।

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