हल्द्वानी। सियाचिन ग्लेशियर (Siachen Glacier) में साल 1984 में हुए हिमस्खलन में दबकर शहीद हुए 19 जवानों में शामिल लांसनायक चंद्रशेखर हर्बोला का पार्थिव शरीर 38 साल बाद प्राप्त हुआ है। शहीद का पार्थिव शरीर मिलने की सूचना से परिजनों के जख्म एक बार फिर ताजे हो गए। प्रशासन ने बताया कि शहीद का पार्थिव शरीर मंगलवार को हल्द्वानी पहुंच सकता है।
बता दें कि मूल रूप से उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के रानीखेत तहसील अंतर्गत बिन्ता हाथीखुर गांव के रहने वाले लांसनायक चंद्रशेखर हर्बोला साल 1971 में कुमाऊं रेजिमेंट में भर्ती हुए थे। इसके बाद मई 1984 को बटालियन लीडर लेफ्टिनेंट पीएस पुंडीर के नेतृत्व में 19 जवानों का एक दल ऑपरेशन मेघदूत के लिए सियाचिन ग्लेशियर (Siachen Glacier) पर निकला था। इस बीच 29 मई को वहां पर भारी हिमस्खलन हो गया जिससे पूरी की पूरी बटालियन दब गई थी।
काफी तलाश के बाद जब लांसनायक चंद्रशेखर का शव नहीं मिला तो उन्हें शहीद घोषित कर दिया गया था। उस समय लांसनायक चंद्रशेखर की उम्र 28 वर्ष थी। बताया जा रहे है कि शनिवार रात शहीद की पत्नी शांति देवी को फोन पर जानकारी मिली कि शहीद लांसनायक चंद्रशेखर का पार्थिव शरीर ग्लेशियर से बरामद हुआ है। (Siachen Glacier)
सूचना मिलने पर रविवार को एसडीएम मनीष कुमार सिंह और तहसीलदार संजय कुमार समेत प्रशासन की टीम रामपुर रोड डहरिया स्थित सरस्वती विहार में स्थित उनके घर पहुंची। एसडीएम ने मौके पर पहुंच कर शोक संवेदना जताई और परिजनों को ढांढस बंधाया। सहायक सैनिक कल्याण अधिकारी पुष्कर भंडारी ने बताया कि सोमवार शाम तक शहीद का पार्थिव शरीर हल्द्वानी पहुंच सकता है। उन्होंने कहा कि शहीद का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ रानीबाग स्थित चित्रशिला घाट पर किया जाएगा। (Siachen Glacier)
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