
कोरोना का असर सबसे बुरा असर अर्थव्यवस्था पर पड़ा है. आपको बता दें कि संयुक्तराष्ट्र की श्रम इकाई अंतरराष्ट्रीय श्रमिक संगठन ने कोरोना वायरस महामारी के कारण लोगों की जाने वाली नौकरियों का पूर्वानुमान एक बार फिर से बढ़ा दिया है। संगठन के अनुसार अप्रैल से जून के दौरान महज तीन महीने में ही करीब 30.5 करोड़ लोगों की पूर्णकालिक नौकरियां समाप्त हो सकती हैं।
आपको बता दें कि संगठन ने पिछले पूर्वानुमान में कहा था कि इस महामारी के कारण जून तिमाही में हर सप्ताह औसतन 48 घंटे की कार्यअवधि वाले 19.5 करोड़ पूर्णकालिक नौकरियों का नुकसान हो सकता है। संगठन ने कहा कि महामारी पर काबू पाने के लिये दुनिया भर में लॉकडाउन के बढ़ाये जाने से उसे अनुमान में संशोधन करना पड़ा है।
गौरतलब है कि संगठन ने कहा कि इस महामारी के कारण अनौपचारिक क्षेत्र के 1.6 अरब कामगारों के समक्ष जीवनयापन का खतरा उत्पन्न हो चुका है क्योंकि महामारी के कारण उनके रोजी-रोटी के साधन बंद हो चुके हैं। आपको बता दें कि यह पूरी दुनिया के 3.3 अरब कार्यबल का करीब आधा है।
वहीं अगर भारत की बात करें तो देशभर में फैले कोरोना महामारी और उसके चलते लॉकडाउन से बेरोजगारी दर बढ़कर 23.4% पर पहुंच गई है। सीएमआईई की रिपोर्ट के अनुसार, लॉकडाउन से भारत की शहरी बेरोजगारी दर 30.9% तक बढ़ सकती है, हालांकि कुल बेरोजगारी 23.4% तक बढ़ने का अनुमान है। यह रिपोर्ट अर्थव्यवस्था पर कोरोना के बुरे प्रभाव को दर्शाती है।