लखनऊ।।यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के बीच नोंक-झोंक लगातार चलती रहती है। सपा और बसपा गठबंधन को लेकर ‘सर्कस के शेर’ संबंधी टिप्पणी करने वाले सीएम योगी के बयान पर पलटवार करते हुए प्रदेश के पूर्व सीएम और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा है कि “शेर चाहे कितना भी भूखा हो, वह शेर ही रहेगा।”
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अखिलेश यादव ने मैनपुरी में प्रदेश की बीजेपी सरकार द्वारा राज्य के सरकारी अभिलेखों में बाबा साहब का नाम भीमराव अंबेडकर की जगह ‘भीमराव रामजी आंबेडकर’ किये जाने के बारे में कहा, “अब यह जरूरी हो गया है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ संविधान की कुछ पंक्तियां पढ़ लें।”
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उन्होंने कहा, “अगर पढ़ लेंगे तो वह सदन में यह भी नहीं कहेंगे कि शेर भूखा है, वह दूसरे का खाना खाता है। शेर कितना भी भूखा हो, वह शेर ही रहेगा। योगी अगर संविधान पढ़ लेंगे तो शायद सदन में ‘समाजवाद’ को लेकर दिखने वाली उनकी नाराजगी नहीं दिखाई देगी।”
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गौरतलब है कि सीएम योगी ने बुधवार को विधान परिषद में वर्ष 2018-19 के बजट पर चर्चा के दौरान सपा और बसपा के गठजोड़ पर कटाक्ष करते हुये किसी का नाम लिये बगैर कहा था कि “कुछ लोग आजकल ‘सर्कस के शेर’ हो गये हैं। ‘सर्कस का शेर’ शिकार करने में असमर्थ होता है, इसलिए दूसरों की जूठन पर ही अपनी पीठ थपथपाता और गौरवान्वित होने की कोशिश करता है।”
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सीएम ने कहा था कि “वह इसलिए गौरवान्वित होता है, क्योंकि उसे लगता है कि उसे कोई शिकार मिल गया है। ‘सर्कस का शेर’ बनने के बजाय खुद पर और अपने स्वाभिमान पर विश्वास करें तो बहुत अच्छी बात होगी।
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योगी ने समाजवाद को भी ‘धोखा’ और ‘मृगतृष्णा’ बताते हुये उसे ‘फासीवाद’ और ‘नाजीवाद’ से जोड़ा था। इसके बाद सपा अध्यक्ष अखिलेश ने इस पर ‘ट्वीट’ करते हुए कहा था कि “संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवादी’ शब्द संविधान की मूल भावना के रूप में दर्ज है। मुख्यमंत्री का समाजवाद को ‘झूठा, समाप्त और धोखा’ कहना संविधान की अवमानना का गंभीर मुद्दा है, इसके लिए उन्हें देश से माफी मांगनी चाहिए’ और एक सच्चे योगी की तरह पद त्याग देना चाहिये।”
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