सामंतवाद की भेंट चढ़ा सैदपुर, फर्जी मुकदमों के डर से 10 हजार यादव परिवार घर छोड़कर भागे!

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गाजीपुर/सैदपुर।। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का कानून-व्यवस्था को लेकर दावा पूरी तरह खोखला नजर आ रहा है। सूत्रों की मानें तो हालात यहां तक है कि सैदपुर इलाके के करीब एक दर्जन गांव के करीब 10 हजार यादव परिवारों को पुलिसिया उत्पीड़न का शिकार होना पड़ रहा है। यहां दबंगई को न मानने की वजह से पहले एक्सीडेंट कर एक युवक की हत्या कर दी गई।

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इसके बाद जब बवाल हुआ तो पुलिस पीड़ितों को ही मुकदमों में फंसाकर अब जेल भेज रही है। इससे डरे सहमे गांव वाले घर छोड़कर भागने को मजबूर हैं। मामले में अभी तक पीड़ित परिवार के ही 7 लोगों को जेल भेजा जा चुका है।

– 10 हजार यादव परिवारों पर योगीराज में संकट
– महिलाओं को गालियां, पुरुषों को मिल रही लाठियां
– सपा के ही ठाकुर नेताओं पर दलितों-पिछड़ों को पिटवाने का गंभीर आरोप
– पीड़ित परिवार को नहीं मिली मदद, हत्यारे को लेकर बनारस भागे भाजपाई
– सपा का कोई नेता मौके पर नहीं पहुंचा, स्थानीय लोगों में रोष

पुरुषों के घर छोड़कर चले जाने के बाद पुलिस इस तरह से निरंकुश हो रही है कि महिलाओं को गालियां ही नहीं दी जा रही है, बल्कि यादव परिवार के लड़कों को बुरी तरह पीटा जा रहा है। उनकी हड्डियां तोड़ी जा रही हैं और फिर घसीटकर खेत खलिहानों में छोड़कर पुलिस चली जाती है।

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स्थानीय लोगों से मिली जानकारी के मुताबिक, भिखारी यादव पेंट का काम करते थे। भिखारी यादव ने ठेकेदार राम गोपाल सिंह के यहां पेंट करने से मना कर दिया। इससे नाराज राम गोपाल सिंह ने अपने भतीजे कल्लू सिंह से गाड़ी से सरेआम कुचलवा दिया। भिखारी यादव की मौके पर ही मौत हो गई थी। जबकि उनके साथ तियरा ग्राम प्रधान सुभाष यादव गंभीर रूप से घायल हो गए थे। उनको बनारस भर्ती किया गया है।

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घटना के बाद ग्रामीणों को समझाने बुझाने का नाटक करने आए राम गोपाल सिंह अपने भतीजे को लेकर बनारस भाग गए थे, जबकि उनका कहना था कि अपने भतीजे को घर छोड़कर आ रहे हैं। इसके बाद नाराज गांव वालों ने भिखारी यादव की लाश को रास्ते पर रखकर सड़क जाम कर दिया था। पुलिस प्रशासन इसके बाद राम गोपाल सिंह को मौके पर बुलाने में असफल रही है।

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गांव वालों ने रास्ते पर ही शव को रखकर राम गोपाल सिंह के घर और स्कूल को भी आग के हवाले कर दिया था। पूरे मामले को लेकर सपा प्रदेश कार्यालय प्रभारी अरविंद सिंह, पूर्व मंत्री ओम प्रकाश सिंह और पूर्व सांसद राधे मोहन सिंह, केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र नाथ पांडे राम गोपाल सिंह से मिलने गए थे, जबकि मृतक परिवार शव सड़क पर रखकर ही धरना देता रहा। इन नेताओं ने केवल आरोपी की मदद की। यहां तक कहा जा रहा है कि केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा ने ठेकेदार राम गोपाल सिंह को 10 लाख रुपए की आर्थिक मदद भी की है।

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मामले को लेकर बताया जा रहा है कि सपा के ठाकुर नेताओं अरविंद सिंह, पूर्व मंत्री ओम प्रकाश सिंह और पूर्व सांसद राधे मोहन सिंह का रवैया बहुत ही गैरजिम्मेदाराना रहा है। गांव वाले तो यहां तक बताते हैं कि इन नेताओं ने पुलिसवालों को फोन कर कहा है कि गांव वालों को ऐसी सजा दी जाए कि फिर कभी विरोध करने की हिम्मत तक न जुटा सकें। पुलिसिया उत्पीड़न आज भी जारी है।

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29 मार्च की रात में सारस यादव के बेटे गुड्डू को घर से उठाकर पुलिसवालों ने गांव वालों के सामने पीट-पीटकर अधमरा कर दिया। इसके बाद उसे पुलिस ने जेल भेज दिया गया। आज भी अहलादपुर, बरबसपुर, सरैया तियरा, सराय सुल्तान, नारेपे नईकोट, इत्यादि गांवों में पुलिस का उत्पीड़न जारी है। करीब 10 हजार यादव परिवारों को डर के साए में जिंदगी जीने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।

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स्थानीय गांव वालों की माने तो हत्याकांड के बाद सीओ को भी नेताओं ने डरा दिया। यादव परिवार होने की वजह से पीड़ित परिवार को कोई भी मदद नहीं मिली है। बल्कि हत्याकांड के आरोपी राम गोपाल सिंह के घर बीजेपी और सपा नेताओं का आना जाना बना हुआ है।

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हत्याकांड के बाद रात बारह बजे पुलिस का तांडव और बढ़ जाता है। इसके बाद घर की महिलाओं-लड़कियों की चीख पुकार के बाद पुलिस उन्हें गालियां देते हुए खदेड़ती है। युवाओं को पीटा जा रहा है। बुजुर्ग गांव छोड़कर दूसरे गांवों में रिश्तेदारों के यहां छुपने के लिए मजबूर हैं। यहां पर समाजवादी पार्टी का कोई नेता अभी तक नहीं पहुंचा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि सपा का कोई नेता नहीं आता है और पुलिस इसी तरह महिलाओं युवाओं, दलितों-पिछड़ों को पीटती रहेगी तो सपा को भी विरोध का सामना करना पड़ेगा। सपा के ही ठाकुर नेता यहां पर भाजपा नेताओं के साथ मिलकर दलितों-पिछड़ों को पिटवा रहे हैं।

साभार: फर्क इंडिया

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