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सुप्रीम कोर्ट की कार्रवाई के बाद बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। उत्तराखंड के पिथोरागढ़ के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड की सोन पापड़ी के टेस्ट में फेल होने पर कंपनी के एक सहायक प्रबंधक समेत तीन लोगों को छह महीने की जेल की सजा सुनाई है। इसके साथ ही तीनों पर जुर्माना भी लगाया गया है।

इस मामले की शुरुआत तब हुई जब खाद्य सुरक्षा अधिकारियों ने पतंजलि की सोन पापड़ी के नमूने लेकर उनका परीक्षण किया। परीक्षण के दौरान पाया गया कि सोन पापड़ी मानकों पर खरा नहीं उतरी और उसमें आवश्यक गुणवत्ता की कमी थी। यह मामला कोर्ट तक पहुंचा, जहां न्यायाधीश ने इसे गंभीर मानते हुए कंपनी के सहायक प्रबंधक और दो अन्य कर्मियों को अपराधी ठहराया।

इस सजा के बाद पतंजलि के प्रतिनिधियों ने कहा है कि वे कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं, लेकिन वे इस सजा के खिलाफ ऊपरी अदालत में अपील करेंगे। उन्होंने दावा किया कि उनकी कंपनी हमेशा से उच्च गुणवत्ता के मानकों का पालन करती आई है और इस मामले में कुछ तकनीकी त्रुटियां हो सकती हैं।

सुप्रीम कोर्ट की सख्ती और पिथोरागढ़ कोर्ट के इस फैसले ने खाद्य सुरक्षा और गुणवत्ता को लेकर एक महत्वपूर्ण संदेश दिया है। यह मामला अन्य कंपनियों के लिए भी एक चेतावनी है कि उपभोक्ताओं की सुरक्षा और गुणवत्ता के साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा।

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