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उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने 22 अप्रैल को एक प्राइवेट स्कूल द्वारा कक्षा 11 के भारी तादाद में छात्रों को फेल किए जाने की शिकायत पर कड़ा रुख अख्तियार किया है। आयोग की अध्यक्ष डॉ. गीता खन्ना ने तत्काल कार्रवाई करते हुए विद्यालय प्रशासन को निर्देश दिया है कि सभी फेल छात्रों को बिना किसी विलंब के कक्षा 12 में पास किया जाए।

आयोग ने इस पूरे मामले पर गहरी चिंता व्यक्त की है। इसके साथ ही, आयोग ने यह भी आदेश दिया है कि छात्रों की वास्तविक शैक्षणिक योग्यता और मानसिक स्थिति का निष्पक्ष आकलन करने के लिए आयोग की निगरानी में एक योग्यता परीक्षण आयोजित किया जाएगा। इस परीक्षण के परिणाम के आधार पर, यदि कोई छात्र कक्षा 12 के लिए उपयुक्त नहीं पाया जाता है, तो उस पर विचार-विमर्श के बाद उचित निर्णय लिया जाएगा।

यह कार्रवाई तब सामने आई जब अभिभावकों ने आयोग के समक्ष एक गंभीर शिकायत दर्ज कराई। अभिभावकों का आरोप है कि विद्यालय ने छात्रों के गिरते हुए शैक्षणिक स्तर के कारणों पर कोई ध्यान नहीं दिया। इसके अलावा, छात्रों को उनकी मानसिक, भावनात्मक या स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के समाधान के लिए किसी पेशेवर परामर्शदाता की सुविधा भी उपलब्ध नहीं कराई गई। शिकायत में यह भी कहा गया है कि विद्यालय के कुछ शिक्षक निजी ट्यूशन दे रहे हैं, जिसकी जानकारी स्कूल प्रशासन को पहले से थी। इस अनियमितता के कारण पूर्व में एक शिक्षक को बर्खास्त भी किया जा चुका है।