kala azar पर काबू पाने के लिए दूसरे चरण का छिड़काव शुरू, 2.62 लाख की आबादी होगी लाभान्वित

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  कुशीनगर। कालाजार (kala azar) पर काबू पाने के लिए दूसरे चरण का छिड़काव और जनजागरूकता सहित अन्य निरोधात्मक कार्रवाई शुरू कर दी गयी है। कालाजार प्रभावित नौ ब्लाॅक में से पहले पांच ब्लाॅक में छिड़काव कराया जा रहा है। दवा का छिड़काव कालाजार प्रभावित 60 गांवों में कराया जाएगा। इससे करीब 2.62 लाख की आबादी लाभान्वित होगी।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ.सुरेश पटारिया ने बताया कि कालाजार (kala azar)  उन्मूलन के लिए स्वास्थ्य विभाग सतर्क है। मरीजों को त्वरित जांच व उपचार देनै, प्रभावित गांवों में छिड़काव और निरोधात्मक कार्य के लिए मलेरिया विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को निर्देशित किया गया है। कार्ययोजना बनाकर छिड़काव भी शुरू करा दिया गया है। विशेष संचारी रोग नियंत्रण माह में जन समुदाय को जागरूक भी किया जा रहा है ।
मलेरिया निरीक्षक विजय गिरी ने बताया कि जिले में कालाजार प्रभावित नौ ब्लाॅक (सेवरही , विशुनपुरा, रामकोला, नेबुआ नौरंगिया, कुबेरस्थान, कसया, दुदही, फाजिलनगर तथा तमकूही) हैं। इनमें से तरयासुजान, कसया, दुदही, फाजिलनगर तथा कुबेरस्थान में छिड़काव शुरू कर दिया गया है।

उन्होंने बताया कि कालाजार (kala azar)  उन्मूलन के लिए प्रभावित गांवों में छिड़काव साल भर में दो बार कराया जाता है। पहले चरण का छिड़काव मार्च व अप्रैल माह में हो चुका है। मलेरिया निरीक्षण पिंकेश राय ने बताया कि छिड़काव से पहले छिड़काव श्रमिकों तथा आशा कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित किया जा चुका है। घरों के सभी कमरों तथा गोशालों में छह फीट की ऊंचाई तक छिड़काव कराया जाता है। इस कार्य में गांव की आशा कार्यकर्ता का भी सहयोग रहता है। आशा कार्यकर्ता द्वारा छिड़काव के एक से दो दिन पहले ही ग्रामीणों को सूचना दे दी जाती है। जिन लोगों द्वारा छिड़काव का विरोध किया जाता है, उनको समझा कर तथा छिड़काव से फायदे बता कर उनके घरों में छिड़काव कराया जा रहा है।

सेवरही ब्लाॅक के ग्राम पंचायत जवही नरेन्द्र मठचुलाई निवासी मनोज यादव ने बताया कि गांव में छिड़काव कर्मी आए थे। उनके द्वारा बताया गया कि घर में से खाने पीने वाला सामान हटा दीजिए या उसे अच्छी तरह से ढंक दिजिए, ताकि सही से छिड़काव हो सके। सामान ढक दिया गया। छिड़काव कर्मियों ने उनके घर के बाथरूम सहित पांच कमरों में छिड़काव किया। छिड़काव छह फीट की ऊंचाई तक किया गया है। टीम ने बताया कि साल भर में दो बार छिड़काव होता है। कालाजार से बचने के लिये छिड़काव जरूरी है।(kala azar)

कालाजार को जानिए

कालाजार बालू मक्खी के काटने से होता है। यह मक्खी नमी वाले स्थानों पर अंधेरे में पाई जाती है।इसके काटने से लोग बीमार हो जाते हैं। उन्हें बुखार होता है जो रूक रूक कर चढ़ता उतरता है। पेट फूल जाता है।(kala azar)

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