नई दिल्ली।। दिल्ली यूनिवर्सिटी की पढ़ी-लिखी लड़की जिसने जर्मन भाषा में बीए और एमए इसी यूनिवर्सिटी से किया हो और जो अभी जर्मन-भाषा में फेमिनिज्म पर सिनाप्सिस लिख रही हो और जिसे उसकी यूनिवर्सिटी से जर्मन-फिलॉस्फी को पढ़ने के लिए बर्लिन और हेडलबर्ग जैसी यूनिवर्सिटी के लिये स्कॉलरशीप भी मिली हो उस लड़की के साथ भी शादी के बाद सुहागरात के समय ऐसा बर्ताव, सोचकर भी शर्म आती है कि समाज किस दिशा में जा रहा है।
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शादी के बाद अपना अनुभव शेयर करते हुए पीड़ित युवती कहती हैं कि “जब मेरी शादी होती है कि तो मेरी पढ़ाई-लिखाई की कोई कीमत नहीं रह जाती है और मुझे केवल एक औरत होने के तौर पर देखा जाता है। सुहागरात को सफेद तौलिये पर मुझे अपनी Virginity test देना पड़ा।
वो कहती हैं कि, “आप सबको मेरी कहानी बताने का मकसद ही यही है कि आप जान सकें कि एक उच्च-शिक्षित लड़की के साथ भी शादी के बाद क्या-क्या हो सकता है? लड़कियाँ माँ-बाप की खुशी और समाज के डर से चुप रह जाती हैं, लेकिन मैंने चुप रहना ठीक नहीं समझा।” अपनी शादी के बारे में बताते हुए कहती हैं कि “मेरी शादी 17 फरवरी 2016 में हुई।
पहली रात को ही मेरी सास ने मुझे एक सफेद तौलिया दिया ताकि मैं साबित कर सकूँ कि मैं ‘Virgin’ हूँ। एक आधुनिक ख्यालों की होने और उच्च शिक्षित होने के कारण मेरे लिये उनका यह व्यवहार हैरान करने वाला था। क्या सिर्फ औरत का वर्जिन होना जरुरी है, मर्द का नहीं?”
पीड़िता आगे कहतीं है कि “जब हम हनीमून पर निकल रहे थे तो मेरी सास ने मुझे फिर एक सफेद तौलिया देते हुये यह आदेश दिया कि sex के बाद वे इस तौलिये को उन्हें वापस कर दें। हनीमून से जब लौट कर आई तो मेरे हाथ में 2 हजार रुपए रख दिये गये और कहा कि यदि मुझे Sanitary नैपकिन खरीदना हो या फोन-रिचार्ज करना हो तो केवल वे ही मेरे अकाउंट में पैसे ट्रांसफर करेंगी। यह सब देखकर मैं ‘शॉक्ड’ थी। मैंने अपने पति से सवाल किया कि क्या यही शादी है? वे कुछ नहीं बोले।”
“मेरी मानसिक-प्रताड़ना का दौर शुरु हो गया था। मेरे सास-ससुर का न केवल मेरे प्रति व्यवहार खराब था बल्कि सेक्सुअल-एब्यूज भी होने लगा। मेरे पति को कहा जाने लगा कि वो sex के दौरान condoms न इस्तेमाल करे। मेरी सास मेरी पैंटी चेक करके देखती कि मेरा पीरियड हुआ है या नहीं? कुल मिलाकर हमारा सेक्स भी उनके निर्देश पर हो रहा था।”
फिर वो आगे कहतीं हैं कि “सास ने मुझे गुरु राम रहीम के नाम पर जाप करने को कहा। मैंने ऐसा करने से मना कर दिया। इस बीच मैंने गुरुग्राम के एक स्कूल में जर्मन पढ़ाना शुरु कर दिया।18 मई को मेरे पति ने मुझसे मेरी पूरी सैलरी मांगी और अपने घरवालों के सामने मुझ पर हाथ उठाया। वे मुझे जल्दी से जल्दी बच्चा पैदा करने की जिद कर रहे थे। अबतक मैं डिप्रेशन में जाने लगी थी। मैं अपने माँ-बाप के पास रहने आ गई।”
“10 दिनों के बाद मेरे पति आये और कहा कि उन्हें लगता है कि मेरे माता-पिता ने मुझे GB रोड पर बेच दिया है। अब तक मैं पूरी तरह टूट गई। अपनी नौकरी पर पूरी तरह ध्यान नहीं दे पा रही थी तो मुझे जॉब छोड़नी पड़ी। मैंने वूमन-सेल में अपना केस-रजिस्टर कराया इस उम्मीद में कि मुझे न्याय मिलेगा, लेकिन मैं नहीं भूलती हूं कि वहाँ पहुंचने पर पुलिसवाले मुझे कैसे देखते और हंसते थे. वूमन-सेल में मेरे पति ने अपने बयान में कहा कि-ये तो अपने भाई के घऱ में रह रही है, मुझे क्या पता कि वो रात में इसे क्या देता है जो मैं नहीं दे पाया?”
तीन-चार सुनवाई के बाद पीड़िता का केस मेडिएशन सेंटर भेज दिया गया। पीड़िता आगे कहतीं हैं “मैंने अपने सास-ससुर से अपनी किताबें मांगी लेकिन उन्होंने मना कर दिया। मैं कई वकीलों से मिली लेकिन तलाक दिलाने के लिए वे 2.5 लाख रुपये का पैकेज बताते। मेरे पास इतना पैसा नहीं था। अब मैंने अपने केस के लिए खुद लड़ाई शुरु की। RTI लगाने का तरीका जाना, ACP-DCP से मिली और अपने ससुराल वालों के खिलाफ FIR कराने की मांग की। आखिरकार 24 फरवरी 2017 को FIR हुआ लेकिन अभी जांच की प्रकिया चल रही है।”
पीड़िता कहतीं हैं कि “अपनी शादी में और क्राइम अगेंस्ट वूमन-सेल में हुये अपने खराब अनुभव ने मुझे बहुत डरा दिया। मैंने महसूस किया कि वूमेन-सेल में मोटिवेट करने के बजाये केवल औरतों को सलाह दी जाती है। बेशक वहाँ के लोग अनुभवी होते हैं लेकिन प्रशिक्षित नहीं होते।” एक पुलिसवाले ने पीड़िता से कहा कि “बेटा कहां जाओगी, अभी बच्ची हो, जिंदगी नहीं देखी तुमने। एक बच्चा हो जाएगा तो ये लड़का खुद संभल जाएगा।’
वो आगे कहती हैं कि “depression के दौरान मैं आत्म-हत्या करने के बारे में सोच रही थी लेकिन मैंने ‘मनोबल स्टडी’ ज्वाइन किया। यहां मुझे AIIMS से रिटार्यड Psychotherapist डॉ शकुंतला दुबे मिलीं। वे मुझे जीने का हौसला और संबल देने लगी थीं। अब मैं अपने जीवन से खुश हूँ। बेशक मेरा केस अभी चल रहा है लेकिन अब मुझे पता है कि मुझे क्या करना है? आपको अपनी कहानी बताने का मेरा मकसद यही थी कि आप भी जान सकें कि मैं किस दौर से गुजरी हूँ।”
साभार: इन्डिया संवाद
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