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Swaroopanand Saraswati Death : द्वारकापीठ शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का रविवार को 99 वर्ष की आयु में मध्य प्रदेश में निधन हो गया। हिंदू धर्मगुरु ने मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले के श्रीधाम झोटेश्वर आश्रम में आज दोपहर 3.30 बजे अंतिम सांस ली।
1300 साल पहले आदि गुरु भगवान शंकराचार्य ने हिंदुओं और हिंदू धर्म के अनुयायियों को संगठित करने और धर्म के उत्थान के लिए पूरे देश में 4 धार्मिक मठ बनाए। इन चार मठों में से एक के शंकराचार्य जगतगुरु स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के थे, जिनके पास द्वारका और ज्योतिर मठ दोनों थे। 2018 में, जगतगुरु शंकराचार्य का 95 वां जन्मदिन वृंदावन में मनाया गया,उनका जन्म वर्ष 1924 था।

इतने वर्ष में त्याग दिए थे घर

जगतगुरु स्वरूपानंद सरस्वती (Swaroopanand Saraswati Death) ने हरियाली तीज के दिन अपना 99वां जन्मदिन मनाया। उनका जन्म सिवनी जिले के जबलपुर के निकट दिघोरी गाँव में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। 9 साल की उम्र में घर छोड़कर उन्होंने हिंदू धर्म को समझने और उत्थान के लिए धर्म की यात्रा शुरू की। एक ब्राह्मण परिवार में जन्मे स्वरूपानंद सरस्वती ने उत्तर प्रदेश के वाराणसी पहुंचने के बाद स्वामी करपात्री महाराज से वेद और शास्त्र सीखे।

स्वतंत्रता संग्राम में हुए थे शामिल

आपको बता दे कि स्वरुपानंद सरस्वती (Swaroopanand Saraswati Death) स्वतंत्रता संग्राम में जेल भी गए थे,इस दौरान उन्हें एक क्रांतिकारी साधु के रूप में जाना जाता था। उन्होंने अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण में भी योगदान दिया। वे
साल 1950 में दंडी संन्यासी बन गए और इसके बाद 1981 में शंकराचार्य की उपाधि मिली। साल 1950 में ज्योतिषपीठ के ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वामी ब्रह्मानन्द सरस्वती से दण्ड-सन्यास की दीक्षा ली और स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती नाम से जाने जाने लगे।

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