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Up kiran,Digital Desk : सोचिए, एक सिपाही जिसे नौकरी से निकाल दिया गया हो, वो एक बाहुबली नेता का इतना खास बन जाए कि उसके ही घर के सामने 20 करोड़ का आलीशान महल खड़ा कर दे! यह किसी फिल्मी कहानी जैसा लगता है, लेकिन यह हकीकत है पूर्वांचल के माफिया नेटवर्क में अपनी पैठ बना चुके आलोक सिंह की, जिसे अब गिरफ्तार कर लिया गया है। कभी उत्तर प्रदेश पुलिस की स्पेशल टास्क फ़ोर्स (STF) का हिस्सा रहा आलोक सिंह आज कई जांच एजेंसियों के रडार पर है, और उसकी कहानी हैरान करने वाली है।

जब वर्दी छिनी, तो थाम लिया बाहुबली का दामन

करीब 20 साल पहले आलोक सिंह को सोना लूटने के एक मामले में पुलिस की नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया था। हालांकि, बाद में वह उस केस से बरी हो गया, लेकिन वर्दी वापस नहीं मिली। यहीं से उसकी ज़िंदगी ने एक नया और खतरनाक मोड़ लिया। नौकरी से निकाले जाने के बाद वह कोई आम आदमी नहीं बना, बल्कि सीधे पूर्वांचल के बाहुबली और पूर्व सांसद धनंजय सिंह का गनर बन गया। और देखते ही देखते, वह सिर्फ एक गनर नहीं रहा, बल्कि धनंजय का 'दाहिना हाथ' बन गया।

पुलिस के 'रसूख' से बनाया जुर्म का साम्राज्य

आलोक ने अपने पुराने पुलिसिया संपर्कों का खूब फायदा उठाया। वह पुलिस के लिए मुखबिरी भी करता और इसी की आड़ में अपना काला कारोबार भी चलाता रहा। शराब, खनन से लेकर नशीले कफ सिरप की तस्करी तक, हर गैरकानूनी काम में उसने अपनी हिस्सेदारी बनानी शुरू कर दी।

उसका रसूख इतना बढ़ गया कि लखनऊ में सुल्तानपुर रोड पर उसने धनंजय सिंह के घर के ठीक सामने करीब 20 करोड़ की कीमत का एक आलीशान घर बनवा लिया। वह लग्जरी गाड़ियों के काफिले के साथ धनंजय सिंह के साथ चलता था। हद तो यह है कि जौनपुर की वोटर लिस्ट में धनंजय सिंह और आलोक सिंह, दोनों के घर का पता एक ही दर्ज है।

ED के रडार पर क्यों आया आलोक?

आलोक सिंह की गिरफ्तारी ने अब प्रवर्तन निदेशालय (ED) समेत कई बड़ी एजेंसियों के कान खड़े कर दिए हैं। जांच में सामने आया है कि नशीले कफ सिरप का यह सिंडिकेट बहुत बड़ा है और इसके तार कई सफेदपोश चेहरों से जुड़े हैं।

  • तिकड़ी का सीधा कनेक्शन: इस पूरे मामले में तीन नाम सबसे अहम हैं- शुभम सिंह, अमित सिंह टाटा और आलोक सिंह। ये तीनों ही धनंजय सिंह के सबसे करीबी माने जाते हैं।
  • काली कमाई का निवेश: जांच में यह भी सामने आया है कि इस सिंडिकेट की काली कमाई को रियल एस्टेट में लगाने का काम जौनपुर का विकास सिंह विक्की नाम का शख्स कर रहा था। सूत्रों की मानें तो एक पूर्व बड़े सरकारी अधिकारी (ब्यूरोक्रेट) ने भी विक्की के जरिए लखनऊ में कई कीमती संपत्तियां खरीदी हैं, जिसकी जांच अब ED ने शुरू कर दी है।

आलोक की गिरफ्तारी सिर्फ एक बर्खास्त सिपाही की गिरफ्तारी नहीं है, बल्कि यह पूर्वांचल में चल रहे नेता, माफिया और अफसर के उस गठजोड़ की परतें खोलने की एक कड़ी है, जिसकी आंच अब कई बड़े चेहरों तक पहुँच सकती है