लखनऊ, 20 सितंबर यूपी किरण। महानिदेशक स्कूल शिक्षा एवं राज्य परियोजना निदेशक विजय किरन आनन्द ने भ्रष्टाचार पर जोरदार वार किया है। उन्होंने जिला विदयालय निरीक्षक कार्यालय एटा में कार्यरत लिपिक अनूप दुबे की अवैध नियुक्ति के संबंध में संयुक्त शिक्षा निदेशक अलीगढ मंडल से आख्या मांगी है। उन्होंने साक्ष्यों सहित स्पष्ट जांच रिपोर्ट तलब की है। उन्होंने कथित शिक्षा माफिया अनूप दुबे की शिकायत पर यह कार्रवाई की है। अब तक एटा जिले के शिक्षा विभाग में पिता—पुत्र का आतंक इस कदर छाया था कि कोई अधिकारी या कर्मचारी उनके खिलाफ मुंह खोलने की हिम्मत नहीं जुटा पाता था। यदि शिकायतें हुईं भी तो पिता—पुत्र की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ा।
क्या है मामला
दरअसल अनूप दुबे पुत्र हरिश्चन्द्र दुबे जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय एटा में लिपिक के पद पर कार्यरत हैं। इनकी नियुक्ति मृतक आश्रित कोटे में इनकी मां आदर्श दुबे के निधन के बाद हुई थी। स्व आदर्श दुबे राजकीय बालिका इंटर कालेज एटा में सहायक अध्यापिक के पद पर कार्यरत थीं और अनूप दुबे के पिता हरिश्चन्द्र दुबे जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय एटा में कार्यरत थे। नियमावली में स्पष्ट प्राविधान है कि यदि माता पिता दोनों सरकारी सेवा में हों तो ऐसे में एक की मृत्यु हो जाने पर नियमानुसार मृतक आश्रित के रूप में नियुक्ति नहीं हो सकती।
मृतक आश्रित कोटे में नहीं हो सकती नियुक्ति
अनूप दुबे नियुक्ति वर्ष 1991 में मृतक आश्रित कोटे के तहत हुई थीं उनकी मां का निधन वर्ष 1981—82 में हुआ था। नियमावली के मुताबिक मृतक आश्रित कोटे के तहत पांच वर्ष के अंदर नियुक्ति हो जानी चाहिए। विशेष परिस्थितियों में शासन की मंजूरी के बाद ही मृतक आश्रित कोटे के तहत नियुक्ति की जा सकती है। पर अनूप दुबे की नियुक्ति वर्ष 1991 में हुई। जिसमें शासन से भी मंजूरी नहीं ली गई।
पिता हरिश्चन्द्र दुबे कई विद्यालयों की प्रबंध समिति में
अनूप दुबे के पिता हरिश्चन्द्र दुबे जिले में पहले ही शिक्षा माफिया के रूप में कुख्यात हैं। यह कई विद्यालयों में प्रबंधक/अध्यक्ष/उपाध्यक्ष के रूप में संलिप्त हैं। आरोप है कि हरिश्चन्द्र दुबे ने अपने कार्यकाल में ही मृतक आश्रित के रूप में अनेक फर्जी डिग्री धारकों को मोटी रकम लेकर विद्यालयों में अध्यापक के रूप में नियुक्ति कराई।
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