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Up kiran,Digital Desk : बॉलीवुड के गलियारों में आज सन्नाटा पसरा है। हम सबके चहेते धरम पाजी यानी दिग्गज अभिनेता धर्मेंद्र ने दुनिया को अलविदा कह दिया है। 89 साल की उम्र में उन्होंने आखिरी सांस ली, लेकिन एक सच्चे कलाकार के तौर पर वो कभी नहीं मर सकते। हाल ही में उनकी फिल्म 'इक्कीस' का ट्रेलर आया था, जिसे देखकर हर किसी ने उनकी एनर्जी को सलाम किया था।

आज जब वो हमारे बीच नहीं हैं, तो आंखों में आंसू जरूर हैं, लेकिन होठों पर उनके बेहतरीन किरदारों की कहानियां भी हैं। आइए एक नजर डालते हैं उन फिल्मों पर, जिन्होंने पंजाब के एक साधारण लड़के को बॉलीवुड का 'ही-मैन' और सुपरस्टार बनाया।

1. शोले: जब 'वीरू' ने जीता सबका दिल
अगर धर्मेंद्र की बात हो और 'शोले' का जिक्र न आए, तो बात अधूरी लगती है। 1975 में आई रमेश सिप्पी की इस फिल्म में उन्होंने 'वीरू' के किरदार को अमर कर दिया। चाहे वो पानी की टंकी पर चढ़कर गांव वालों को डराना हो, या फिर वो मशहूर डायलॉग— "बसंती, इन कुत्तों के सामने मत नाचना"। वीरू की मस्ती और इमोशन को लोग आज भी नहीं भुला पाए हैं।

2. फूल और पत्थर: यहीं से मिला 'ही-मैन' का टैग
बहुत कम लोग जानते हैं कि धर्मेंद्र को असली स्टारडम इसी फिल्म से मिला था। इस मूवी ने उन्हें रोमांटिक हीरो की इमेज से बाहर निकालकर एक रफ-एंड-टफ हीरो बनाया। यह वो दौर था जब उन्होंने पर्दे पर शर्ट उतारकर अपनी फिजीक दिखाई थी और बॉक्स ऑफिस पर तहलका मच गया था। इसी फिल्म के बाद उन्हें बॉलीवुड का 'ही-मैन' कहा जाने लगा।

3. चुपके-चुपके: कॉमेडी में भी कोई जवाब नहीं
अक्सर एक्शन हीरोज पर ठप्पा लग जाता है कि वो सिर्फ मार-धाड़ कर सकते हैं, लेकिन धरम पाजी ने 'चुपके-चुपके' से सबकी बोलती बंद कर दी। इस फिल्म में 'परिमल त्रिपाठी' यानी ड्राइवर प्यारे बनकर उन्होंने दर्शकों को जितना हंसाया, उतना शायद ही कोई एक्शन स्टार कर पाया हो। उनकी कॉमिक टाइमिंग कमाल की थी।

4. धरम-वीर: एक्शन और दोस्ती की मिसाल
1977 में आई 'धरम-वीर' उन फिल्मों में से है जो टीवी पर आज भी आ जाए, तो लोग चैनल नहीं बदलते। इसमें धर्मेंद्र ने जो राजसी अंदाज और एक्शन दिखाया, उसने फैंस को पागल कर दिया था। यह फिल्म बताती है कि वो सिर्फ स्टार नहीं, बल्कि मास (Mass) के असली हीरो थे।

5. यादों की बारात: क्लासिक लुक और सदाबहार गाने
इस फिल्म में धर्मेंद्र की पर्सनालिटी और उनका एंग्री यंग मैन वाला लुक देखने लायक था। 'यादों की बारात' ने उन्हें एक ऐसे स्टार के रूप में स्थापित किया जो अपने दम पर फिल्म को हिट करा सकता है।

धर्मेंद्र जी आज शारीरिक रूप से भले ही चले गए हों, लेकिन जब तक सिनेमा रहेगा, उनका 'गर्म-धरम' वाला अंदाज हमारे दिलों में धड़कता रहेगा।