शिमला, 02 अक्टूबर यूपी किरण। हिमाचल प्रदेश में बनी विश्व की सबसे लंबी अटल टनल रोहतांग वाहनों की आवाजाही के लिए शनिवार से आरंभ हो जाएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सुबह करीब 10 बजे सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण इस टनल का लोकार्पण करेंगे।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर इस अवसर पर प्रधानमंत्री के साथ मौजूद रहेंगे। इस टनल के लोकार्पण के साथ ही दिवंगत प्रधानमंत्री अटल विहारी वाजपेयी का सपना साकार हो जाएगा। अटल टनल रोहतांग से कृषि, बागवानी व पर्यटन व्यवसाय को बढ़ावा मिलने के साथ ही सीमा पर रसद पहुंचाने में आसानी होगी।
प्रधानमंत्री के एकदिवसीय दौरे के चलते कुल्लू के मनाली से लेकर लाहौल-स्पीति के सिस्सू तकएसपीजी समेत अन्य सुरक्षा एजेंसियों व हिमाचल पुलिस के जवानों ने सुरक्षा घेरा सख्त कर दिया है। सासे हेलीपैड, सोलंगनाला और सिस्सू पुलिस छावनी में बदल गए है। इसके अलावा हेलीकाप्टर व ड्रोन से भी पूरे क्षेत्र की नजर रखी जा रही है। एसपीजी की टीम ने शुक्रवार को नार्थ पोर्टल और सिस्सूि जनसभा स्थल के आसपास के स्थल की सुरक्षा का निरीक्षण किया।
अटल टनल रोहतांग के लोकार्पण के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लाहौल के सिस्सु और कुल्लू के सोलंगनाला में सीमित मात्रा में जनसभा को संबोधित करेंगे। टनल के लोकार्पण और जनसभाओं को प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों में लाइव प्रसारण किया जाएगा। इसके लिए 90 एलईडी स्क्रीन की व्यवस्था की गई है।
उल्लेखनीय है कि हिमाचल प्रदेश में समुद्र तल से 10 हजार फीट से अधिक उंचाई पर बनी अटल टनल रोहतांग की लंबाई 9.02 किलोमीटर है। इस टनल के खुलने के बाद यहां के लोगों को वास्तविक आजादी महसूस होगी। पहले रोहतांग मार्ग पर बर्फबारी के कारण आवागमन के सारे रास्ते बंद हो जाते थे और लाहौल-स्पीति के लोग छह महीने के लिए शेष दुनिया से कट जाते थे।
सीमाओं की सुरक्षा और सैन्य रणनीति की दृष्टि से यह टनल अहम साबित होगी। दरअसल मनाली से लेह तक पहुंचने के लिए करीब 45 किलोमीटर की यात्रा करनी पड़ती थी, जिससे न केवल अतिरिक्त समय गंवाना पड़ता था बल्कि शुन्य के नीचे तापमान होने के चलते सेना को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा था।
इस टनल के चालू हो जाने से मनाली व लेह के बीच 45 किमी की दूरी कम होगी और सेना के लिए रसद पहुंचाना भी आसाना हो जाएगा। इसका बड़ा फायदा सैन्य बलों को होगा। अब तक सर्दियों के दिनों में संपर्क और उन तक राशन पहुंचाना एक बड़ी चुनौती रहती थी। टनल के खुल जाने से सेना की पूर्वी लद्दाख को जाने वाली सप्लाई लाइन अब साल भर खुली रहेगी।
रोहतांग दर्रे के नीचे रणनीतिक महत्व की सुरंग बनाए जाने का फैसला तीन जून, 2000 को लिया गया, जब अटल बिहारी वाजपेयी देश के प्रधानमंत्री थे। टनल के दक्षिणी हिस्से को जोड़ने वाली सड़क की आधारशिला 26 मई 2002 को रखी गई थी। जून 2010 में सुरंग बनाने का काम शुरू कर दिया गया। इस परियोजना को फरवरी 2015 में ही पूरा होना था, लेकिन विभिन्न कारणों से इसमें देरी होती रही।
मौसम की जटिलता और पानी के कारण कई बार निर्माण कार्य बीच में ही रोकना पड़ा। बाधाओं और चुनौतियों के कारण यह समय सीमा आगे खिसकती रही, लेकिन बीआरओ ने इस चुनौती का डटकर मुकाबला किया। टनल के दोनों सिरों का मिलान 15 अक्टूबर 2017 को हुआ। शुरुआत में टनल की लंबाई 8.8 किलोमीटर नापी गई थी, लेकिन निर्माण कार्य पूरा होने के बाद अब इसकी पूरी लंबाई 9.02 किलोमीटर है। इसे बनाने में लगभग 3,000 संविदा कर्मचारियों और 650 नियमित कर्मचारियों ने 24 घंटे कई पारियों में काम किया। अटल सुरंग के निर्माण पर करीब 3200 करोड़ रुपये की लागत आई है।