शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार
आइए आपको मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के राज्य बिहार लिए चलते हैं । जो कि गुरुवार सुबह से ही दो घटनाओं को लेकर सोशल मीडिया पर सुर्खियों में छाया हुआ है । दोनों ही घटनाएं बिहार के साथ नए भारत की भी पोल खोल रही हैं । वैसे तो बिहार पिछले कुछ समय से इस वर्ष के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटा हुआ है । एक बार और सत्ता का स्वाद चखने के लिए सीएम नीतीश कुमार भी अपनी चुनावी तैयारियों में जुटे हैं । लेकिन आज हम चुनाव की बात नहीं करेंगे, बल्कि उस हकीकत को बयां करेंगे जिसके लिए बिहार बदनाम रहा है । 90 के दशक के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के शासनकाल के दौरान बिहार में जंगलराज के साथ भ्रष्टाचार का बोलबाला था।
15 वर्ष पहले बाद जब नीतीश कुमार ने बिहार की कमान संभाली तब लोगों को उम्मीद जगी थी कि अब शायद इस राज्य से भ्रष्टाचार का सफाया हो जाएगा ? बिहार में सत्ता तो बदल गई लेकिन आज भी वहां की तस्वीर नहीं बदली है । गुरुवार को बिहार की दो घटनाएं, मीडिया और सोशल मीडिया पर खूब सुर्खियों में छाईं हुई हैं । पहली घटना बिहार के गोपालगंज जिले गंडक नदी पर 263 करोड़ की लागत से बना सत्तर घाट पुल का एक हिस्सा टूटा नदी में बह गया ।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस पुल का पिछले माह किया था उद्घाटन–
यहां हम आपको बता दें कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पिछले महीने जून में इसी पुल का उद्घाटन बड़े जोर शोर से करते हुए कहा था कि यह पुल कई जिलों के लोगों को एक साथ जोड़ देगा । पुल महज 29 दिनों के भीतर ही नदी में समा गया। वहीं, इस पुल के ध्वस्त होने से चंपारण तिरहुत और सारण के कई जिलों का संपर्क टूट गया है। दूसरी ओर पुल के टूटने पर राज्य के पीडब्ल्यूडी मंत्री नंद किशोर यादव ने बेतुका बयान देते हुए कहा है कि ये प्राकृतिक आपदा की वजह से हुआ है, इसमें तो सड़कें और पुल टूटते ही हैं। देश के नेताओं के बयान आज भी वैसे ही है जो हम पिछले कई दशकों से सुनते आ रहे हैं ।
पीडब्ल्यूडी मंत्री को इसकी जिम्मेदारी लेनी चाहिए थी और सच्चाई भी जनता को बतानी चाहिए थी । लेकिन बिहार में नेताओं की छवि जिस प्रकार से बन गई है उसमें अभी तक परिवर्तन होता दिख नहीं रहा है । दूसरी और बिहार में पुल टूटने के बाद राष्ट्रीय जनता दल के तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार सरकार पर जबरदस्त हमला बोला, तेजस्वी ने ट्वीट किया, ‘263 करोड़ रुपये से 8 साल में बना लेकिन मात्र 29 दिन में ढह गया पुल। बता दें कि बिहार में भ्रष्टाचार की जड़े इतनी गहरी हो गई थी कि अभी नीतीश कुमार को इसे उखाड़ फेंकने में लंबा समय लगेगा ।
जिले में बने कोविड केयर सेंटर में ड्यूटी पर कार्यरत डॉक्टर बारिश सेेेे भरे पानी के बीच ठेले पर बैठकर कोरोना मरीजोंं का इलाज करने के लिए विवश हैं । बारिश के पानी के बीच ठेले पर सवार डॉक्टर की यह तस्वीर सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है । दूसरी ओर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और आरजेडी संयोजक लालू प्रसाद यादव नेेे इस तस्वीर केेे सहारे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमला बोला है । सही मायने में यह दोनों तस्वीर बिहार की नहीं बल्कि देश की भी दिशा और दशा को तय कर रही हैं साथ ही यह भी बता रहीं है कि अभी स्वच्छ, साफ और भ्रष्टाचार मुक्त भारत के लिए कुछ समय और इंतजार करना पड़ेगा ।