इस झील ने लील ली थी हजारों इंसानों और जानवरों की जान, जाने क्या थी वजह

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कई दफा दुनिया भर से तबाही की ऐसी ख़बरें आती हैं, जिनमे सैकड़ो हज़ारो बेगुनाहो की जान चली जाती है. अफ्रीकी देश कैमरून में भी इक्कीस अगस्त उन्नीस सौ छियासी को कुछ ऐसा ही हुआ था. उस मनहूस तारीख को इस देश में रातो रत एक हज़ारो से भी ज़्यादा लोगों की मौत हो गयी थी. इन मौतों के ज़िम्मेदार इस देश में मौजूद न्यास झील को माना जाता है. उस खतरनाक हादसे के बाद से ही इस झील द बेड लेक के नाम से जाना जाता है.

स्थानीय किवंदंतियों के मुताबिक, इस झील में बुरी आत्माएं रहती हैं. ये आत्माएं हमेशा किसी न किसी को अपना शिकार बनाने की कोशिश करती रहती हैं. हालाँकि इन बातो में कितनी सच्चाई है, ये कहना मुश्किल है. लेकिन एक बार जब इस झील ने हज़ारो लोगो को अपना शिकार बनाया तो इस झील को लेके लोगो के मन में कई तरह के डर बैठ गए.

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लेकिन वैज्ञानिको के मुताबिक, कैमरून में हुई तबाही की वजह दूसरी है. वास्तव में ये झील एक ज्वालामुखी के केटर पर बनी है. इस वजह से इस झील में कार्बन डाई ऑक्साइड की मात्रा बेहद ज़्यादा है. किन्ही कारणों के चलते ये सारी गैस वायुमंडल में जाने की बजाय, झील में ही जमा होती रही. इस वजह से धीरे धीरे इस झील का पानी बम का गोला बन गया. रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस झील के एक गैलन पानी में कार्बन डाई ऑक्साइड की मात्रा पांच गैलन हो गयी थी. इसी कारण इक्कीस अगस्त उन्नीस सौ छियासी में झील में एक छोटा सा विस्फोट हुआ और झील का पानी तीन सौ फ़ीट ऊपर आ गया

कुछ ही मिनटों में में झील में मौजूद साड़ी कार्बन डाई ऑक्साइड हवा में फ़ैल गयी. महज़ बीस सेकण्ड्स में इस गैस के चलते १७४६ इंसान और साढ़े तीन हज़ार से ज़्यादा जानवर मारे गए. इतनी बड़ी तादाद में मौत होने के चलते झील भी नीले रंग से लाल रंग में बदल गयी. ये झील चार सौ साल से भी पुरानी है और अब इस झील को मौत की झील भी कहा जाता है. इस झील से मची तबाही ने आस पास मौजूद तीन गावों को तबाह कर दिया था.

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