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दुनियाभर में कोरोना वायरस से बचने के लिए हर दिन एक नया उपाय सामने आ रहा है. आपको बता दें कि अभी कोरोना वायरस महामारी से बचने के लिए सभी लोगों को इससे संक्रमित होने के लिए छोड़ दिया जाना चाहिए? हो सकता है कि यह आपको मजाक लगे या यह सुनकर आपको गुस्सा आए लेकिन दुनिया में इसे भी एक विकल्प के तौर पर देखा जाने लगा है।

गौरतलब है कि अभी दुनिया में विशेषज्ञों के बीच इसे लेकर बहस छिड़ी हुई है कि ऐसा किया जाना चाहिए या नहीं। इसके पक्ष में भी दलीलें आ रही हैं तो इसके खिलाफ भी। आखिर इस विकल्प का आधार क्या है और क्यों इस तरह की चर्चा छिड़ी है, दरअसल, लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग हमेशा के लिए लागू नहीं हो सकता। जब तक कोविड-19 की वैक्सीन नहीं बन जाती तब तक तो खतरा बहुत ही ज्यादा है।

वहीं सवाल ये है कि तो क्या वैक्सीन बनने तक लॉकडाउन जारी रहे? बिल्कुल नहीं, क्योंकि तब बीमारी से ज्यादा लोग इसे रोकने की इस कवायद से मरने लगेंगे। इकॉनमी चौपट हो जाएगी, अभूतपूर्व बेरोजगारी बढ़ जाएगी। हो सकता है कि लोगों के भूखों मरने की नौबत तक आ जाए।

आपको बता दें कि ऐसी सूरत में वैक्सीन बनने तक ‘हर्ड इम्यूनिटी’ के कॉन्सेप्ट से लोगों की उम्मीदें बढ़ी हैं। इसी को प्लान बी के तौर पर बताया जा रहा है कि लोगों को खुला छोड़ दें संक्रमण के लिए, इससे ‘हर्ड इम्यूनिटी’ विकसित होगी और आखिरकार महामारी खत्म हो जाएगी। लेकिन इसमें इतना ज्यादा जोखिम है कि दुनिया भर के विशेषज्ञ इसे लेकर बंट चुके हैं।

गौरतलब है कि हर्ड इम्यूनिटी के लिए लोगों को संक्रमित होने के लिए छोड़ना बहुत खतरनाक हो सकता है। 60 से 85 प्रतिशत आबादी संक्रमित हो जाए तो इसके विनाशकारी नतीजों की कल्पना तक नहीं की जा सकती। तब लाखों लोग या हो सकता है कि करोड़ में लोगों की मौत हो जाए।

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