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(तीन को आएंगे नतीजे)

राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए शनिवार को हुए मतदान में मतदाताओं ने खूब बढ़-चढ़कर भाग लिया। रिकॉर्ड तोड़ वोटिंग होने से भाजपा और कांग्रेस खेमा उत्साहित है। दोनों ही पार्टियों अपनी-अपनी सरकार बनाने के दावे कर रही हैं। वहीं दूसरी ओर राजनीतिक विश्‍लेषकों का कहना है कि मतदान प्रतिशत 'उम्मीद से कहीं अधिक' था। शनिवार को राजस्थान की 199 विधानसभा सीटों पर 74.96% वोटिंग हुई। ये आंकड़ा रात करीब 12 बजे तक आए वोटिंग के रुझान के मुताबिक है। 

2018 के चुनाव में 74.06% वोटिंग हुई थी। इस बार सबसे ज्यादा वोटिंग 82.32% जैसलमेर जिले में हुई है। सबसे कम 65.12% वोट पाली जिले में पड़े। राजस्थान में 1993 से किसी भी पार्टी की सरकार रिपीट नहीं हुई है। चुनाव आयोग ने 74 फीसदी के करीब मतदान की घोषणा की है। जहां कुछ राजनीतिक पर्यवेक्षक मतदान के प्रतिशत को देखते हुए बीजेपी की तरफ रुझान मान रहे हैं। वहीं गहलोत और उनकी टीम भी इसी तरह के संयोजन पर विचार कर रही है। अगर पार्टी को 75 से अधिक सीटें मिलती हैं, तो राज्य में नए राजनीतिक समीकरण बनाने के लिए निर्दलीय बागियों और बीएसपी के विधायकों को एकजुट किया जा सकता है। 

मतदान के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और तमाम कांग्रेस नेता रिपीट सरकार बनाने के लिए पूरी तरह आस्वस्त दिखाई दिए। मुख्यमंत्री गहलोत ने विश्‍वास जताया कि कांग्रेस रेगिस्तानी राज्य में हर पांच साल बाद वैकल्पिक सरकार बनने की दशकों पुरानी प्रवृत्ति को खत्म कर देगी। गहलोत ने कहा कि इस बार हम दोबारा सरकार बनाएंगे और ये तय है। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी ने कहा कि वोटिंग के दौरान लोग पूरे दिन लंबी लाइनों में खड़े रहे और कांग्रेस के कुशासन, जनविरोधी नीतियों और झूठी गारंटी के विरोध में मतदान किया। 

पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की प्रतिक्रिया सामने आई है। उन्होंने लिखा कि शांति पूर्वक और भाजपा के पक्ष में मतदान करने के लिए प्रदेशवासियों के साथ-साथ भाजपा कार्यकर्ताओं और खासकर नव मतदाताओं का आभार व्यक्त करती हूं। उन्होंने लिखा कि आज राजस्थान की जनता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के विजन, विकास और विश्वसनीयता पर मुहर लगा दी है। मुझे पूरा विश्वास है कि इस चुनाव में प्रदेश की जनता ने भाजपा के सुराज को अपनाया है और कांग्रेस के कुराज को ठुकराया है। राजे ने आरोप लगाते हुए लिखा कि झूठा वादा करने वाली कांग्रेस की गारंटियों को नकारा है और वादा निभाने वाली भाजपा पर भरोसा जताया है। इसलिए राजस्थान में अब अंधेरा छटेगा और कमल खिलेगा। 

बता दें कि राजस्थान में हर पांच साल में सरकार बदलने का रिवाज चला रहा है। इसके साथ ही पिछले 20 साल का वोटिंग ट्रेंड यह भी कहता है कि जब भी मतदान प्रतिशत घटा है तो इसका सीधा लाभ कांग्रेस को मिला है, जबकि मतदान प्रतिशत बढ़ने का फायदा बीजेपी को मिला है। इस बार चुनाव में 5.25 वोटर्स थे और 1863 उम्मीदवार मैदान में उतरे थे। अब 3 दिसंबर को नतीजे आएंगे, तब पता चल सकेगा कि राजस्थान में रिवाज कायम रहता है या गहलोत सरकार परंपरा को तोड़ पाती है।

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