UCC यानि यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर देश में बवाल छिड़ा हुआ है। एक ओर जहां मुस्लिम समाज इसका जमकर विरोध कर रहा तो वहीं दूसरी ओर अब आदिवासियों की अनोखी परंपराएं भी यूसीसी की राह में रोड़ा बनती दिखाई दे रही हैं।
दरअसल, आदिवासी समाज का मानना है कि यूनिफॉर्म सिविल कोड को लाने में सरकार को ज्यादा जल्दी नहीं करनी चाहिए। आदिवासियों का मानना है कि यूसीसी लाने के बाद उनका अस्तित्व खतरे में आ सकता है।
उन्होंने बताया कि आदिवासी यानी अनुसूचित जनजातियों की अपनी एक अलग पहचान है और इनके अपने अनोखे पारंपरिक नियम हैं, जिससे यह अपने समाज पर शासन करते हैं। अगर यूनिफॉर्म सिविल कोड में आदिवासियों को शामिल किया गया तो इनकी जीवनशैली पर इसका बहुत बुरा प्रभाव पड़ सकता है।
यूनिफॉर्म सिविल कोड में जन्म, शादी और तालाक संपति को लेकर सभी धर्मों के लिए एक जैसा कानून बनाने का प्रस्ताव है। लेकिन आदिवासी लोगों के सभी रीति रिवाज और परंपराएं धर्मों से अलग होती हैं। जानकारों का मानना है कि यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू हुआ तो यह आदिवासियों की सदियों से चली आ रही परंपरा और अनोखी परंपराओं को प्रभावित करेगा, जिसकी वजह से परिणामस्वरूप आदिवासियों के अस्तित्व और पहचान पर खतरा मंडराने लगेगा। यूसीसी लागू भी हुआ तो आदिवासी नहीं चाहेंगे कि उनकी परंपराओं के साथ छेड़छाड़ की जाए।
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