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पवन सिंह||स्वतंत्र पत्रकार

नौकरियों के लिए होने वाली प्रतियोगी परीक्षाओं की छीछालेदर तो जग जाहिर हो चुकी है लेकिन मौजूदा सरकार ने उच्च शिक्षा की ऐसी  ऐतिहासिक वाट लगाई है कि युवाओं को कुछ समझ नहीं आ रहा कि वो करें तो क्या करें। यूजीसी नेट जैसी प्रतिष्ठित परीक्षा को तो लगभग तबाह करके रख दिया गया है। यूजीसी नेट नाई की दुकान जैसा हो गया है..जैसे चाहो परीक्षा कराओ और जब चाहो नये-नये प्रयोग करो।

यूजीसी नेट की प्रतिष्ठित परीक्षा में हर साल लाखों की संख्या में युवा भाग लेते हैं। जेआरएफ और नेट की परीक्षा हजारों युवाओं के लिए कभी भविष्य में सुनहरे सपनों के द्वार खोला करती थी लेकिन इसको साजिशन ऐसा तबाह किया गया है कि यहां से भी भविष्य के जो रास्ते निकला करते थे, वो भी लगभग बंद ही हो रहे हैं।

जून, 2024 में हुई यूजीसी नेट की परीक्षा में नीट परीक्षा की तरह यह खबर आई कि प्रश्नपत्र लीक हो गया। परिणामस्वरूप परीक्षा कैंसिल कर दी गई। गैरजिम्मेदाराना यह रहा कि यूजीसी-नेट ने परीक्षा रद्द होने की जानकारी तक अपनी वेबसाइट तक पर नहीं दी, इसकी जानकारी उच्च शिक्षा मंत्रालय के जरिए आई। मामले की जांच  सीबीआई को सौंपी गई और अब सीबीआई ने कह दिया कि कोई पेपर लीक नहीं हुआ....। अब कहां ये जा रहा है कि परीक्षा साफ़ सुथरी हुई थी, इसलिए परीक्षाफल घोषित कर दिया जाएगा।
2024 यूजीसी-नेट की परीक्षा में इस बार पहली बार ऐसा हुआ जब प्रतियोगी छात्र-छात्राओं को ओएमआर शीट की कापी नहीं मिली और यह भी पहली बार हुआ जब उनसे एडमिट कार्ड तक जमा नहीं कराया गया!! एडमिट कार्ड में प्रतियोगी छात्र-छात्राओं के अंगूठे के निशान होते हैं जिससे भविष्य में किसी भी प्रकार का यह संदेह होने पर कि वास्तविक उम्मीदवार की जगह किसी और ने तो परीक्षा नहीं दी..!!! 

दूसरा यह हुआ कि प्रतियोगी छात्र-छात्राओं को ओएमआर शीट नहीं मिलने से वह अब अपने हल किए हुए सवालों का मिलान करके क्लेम ही नहीं कर सकता। यानी सारी ईमानदारी को आरंभ से ही ताक पर रख दिया गया? यह बहुत बड़ा संदेह पैदा करता है कि क्या जेआरएफ के लिए पहले से कुछ खेल कर लिया गया था?

हर बार  यूजीसी-नेट परीक्षा मेन सीबीटी माध्यम होता था लेकिन 2024 में पेन पेपर्स का इस्तेमाल हुआ..? यह अचानक क्यों , किसके लिए, किस मंशा से किया गया? ओएमआर शीट क्यों नहीं दी गई? एडमिट कार्ड क्यों जमा नहीं कराये गये?
यूजीसी-नेट ने कैसे इस एक साल के भीतर ही पीएचडी में ऐडमीशन ले लेना है वरना एक साल बाद नेट पीएचडी के लिए अनवैलिड हो जाएगा।  यूजीसी-नेट के लिए साल में दो बार परीक्षा होती है। जिसमें हर साल दोनों परीक्षाओं को मिलाकर कम से कम 9 से 10 लाख छात्र-छात्राएं परीक्षा देते हैं। इसमें से 1% जेआरएफ के लिए और 5% नेट के लिए सेलेक्शन होता है। पूरे देश में पीएचडी की सीटें बहुत सीमित हैं और यह पास हुए परीक्षार्थी ज्यादा होते हैं। ऐसे में हजारों की संख्या में छात्र-छात्राएं पीएचडी करने से वंचित रह जाते हैं और फिर से बतौर प्रतियोगी यूजीसी-नेट के लिए अलाडेट परीक्षा केंद्र पर आकर बतौर नये अभ्यार्थी खड़े हो जाते हैं। पहले देश के विश्वविद्यालय पीएचडी के लिए अपना खुद का इंट्रेंस टेस्ट लेते थे लेकिन यूजीसी अब इस वर्ष से पीएचडी का इंट्रेंस टेस्ट खुद लेगा केवल इंटरव्यू ही विश्वविद्यालय लेगा। यूजीसी-नेट (एनटीए) ने पूरी नेट परीक्षा का कचूमर निकाल कर रख दिया है। यूजीसी-नेट का एनटीए ने मिक्स आचार बना दिया है...!!

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